लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश प्रवक्ता Surendranath सुरेन्द्रनाथ त्रिवेदी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी शासन में प्रत्यक्ष रूप से अनुसूचित जाति के हमदर्द होने का मुखौटा लगाकर प्रदेश के मुख्यमंत्री बयानबाजी करते हैं और अनुसूचित जाति के लोगो के घरों में होटलो से खाना मंगाकर खाने का नाटक करते हैं और अप्रत्यक्ष रूप से अनुसूचित जाति के विरोधी हैं, इसका सबसे बडा प्रमाण विगत सत्र में लगभग 58 हजार अनुसूचित जाति के छात्रों को दशमोत्तर कक्षाओं की शुल्क प्रतिपूर्ति न मिल पाना है। ऐसा लगता है कि भाजपा की मंशा शिक्षा के क्षेत्र में अनुसूचित जाति के छात्रों की प्रगति पर विराम लगाना है।
Surendranath : प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था विकास पर प्रश्न चिन्ह
श्री त्रिवेदी ने कहा कि वैसे भी शिक्षा के प्रति विगत सत्र और वर्तमान सत्र दोनो ही सरकार की उपेक्षा का शिकार हैं क्योंकि प्राथमिक और जूनियर स्तर पर छात्रों को दोनो ही सत्रों में आधा सत्र बीत जाने के पश्चात् पुस्तकों आदि पाठ्य सामग्री की प्रतिपूर्ति हो सकी है। जूनियर कक्षाओं की कुछ पुस्तके अब तक उपलब्ध नहीं हैं और न ही उनकी छपाई की गयी है। जिस प्रदेश की शिक्षा की दशा इतनी उपेक्षित और बदहाल हो उस प्रदेश के विकास पर ही प्रश्न चिन्ह लगना स्वाभाविक है।
अनुसूचित जाति के गरीब छात्रों को समाज कल्याण के माध्यम से शुल्क प्रतिपूर्ति का न होना आष्चर्यजनक है। इन छात्रों को लगभग 178 करोड़ का भुगतान होना था परन्तु वित्त विभाग की बेरूखी का खामियाजा भुगतने के लिए यह गरीब छात्र मजबूर हैं और समाज कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी और स्वयं प्रदेश के मुख्यमंत्री मौन साधे हुये है। जबकि उन छात्रों के प्रमाण पत्रों का सत्यापन भी पूरा हो चुका है।
राष्ट्रीय लोकदल गरीब छात्रों के साथ
रालोद प्रदेश प्रवक्ता सुरेन्द्रनाथ त्रिवेदी ने कहा कि प्रदेश सरकार अनुसूचित जाति के नाम पर घडियाली आंसू बहाकर भाषणबाजी न करे और इन 58 हजार गरीब छात्रों की शुल्क प्रतिपूर्ति की व्यवस्था तत्काल की जाय ताकि इस सत्र की पढाई की फीस उनके परिवार के लिए बोझ न बन जाये क्योंकि समाज में आगे बढने के लिए इन गरीबों का विकास केवल शिक्षा द्वारा ही हो सकता है जिसमें प्रदेश सरकार रोडा बनी हुयी है। राष्ट्रीय लोकदल गरीब छात्रों के साथ खड़ा है और इनकी लड़ाई सड़क से संसद तक लडे़गा।