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Tag Archives: भावना ठाकर ‘भावु’

खुद को अपडेट करते हुए आगे बढ़ो

उपर वाले ने हर इंसान को एक सा बनाया होता है। जब हम जन्म लेते है तब सभी का दिमाग कोरे कागज़ सा, खाली घड़े सा होता है। आहिस्ता-आहिस्ता विकसित होते शरीर के भीतर कई बदलाव आते है। दिमाग हर चीज़ को बड़ी उत्सुकता के साथ बड़ी तेजी के साथ ...

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अल्फाज़ों का खेल सहज बनाईये

शब्दों के भावार्थ को समझने में दिमाग लगाना पड़े ऐसे लेखन को ज़्यादातर पाठक आधा छोड़ देते है, पढ़ते-पढ़ते लेखक की भावनाओं के साथ बहते चले जाए ऐसा लेखन हर कोई पसंद करता है। माना कि शब्दों की मायाजाल से उलझते कुछ भी लिख लेना साहित्य शिल्पीयों के बायें हाथ ...

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डिजिटलाइजेशन का जमाना है फिर भी लोग परेशान है!

माना आजकल हर काम डिज़ीटल टेक्नोलॉजी से आसान हो गया है पर, क्या इस टेक्नोलॉजी का उपयोग करना सभी को आता है? “बिलकुल नहीं” पढ़े लिखे आजकल के लोगों को ऑनलाइन व्यवहार आसान लगता है। पर ऐसे कितने सारे बड़े-बुढ़े सीनियर सिटीजन है जिनको ऑनलाइन व्यवहार का ज्ञान नहीं होता। ...

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ज़रा सोचो क्या हक है हमें नवरात्रि मनाने का!

नवरात्रि बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व है। महिषासुर नामक राक्षक ने ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर उनसे वरदाना मांगा था कि दुनिया में कोई भी देव, दानव या धरती पर रहने वाला मनुष्य उसका वध न कर सके। इस वरदान को पाने के ​बाद महिषासुर आतंक मचाने लगा, ...

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हर महिला को आज़ाद ज़िंदगी जीने का पूरा अधिकार है

मत सहो बेवजह प्रताड़ना की जलन जागो औरतों अपनी क्षमता को पहचानों, नहीं हो तुम सज़ा की अधिकारी, संसार रथ की सारथी हो कर दो असमानता की आँधी का हनन सम्मान की अधिकारी कुछ औरतें समाज के डर से और लोक निंदा के भय से अपनी स्वाधीनता की बलि चढ़ाते, ...

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सोशल मीडिया वरदान का रूप

सोशल मीडिय सच पूछो तो इस आधुनिक युग में वरदान रुप है। सैंकडों नई चीज़ों से हमें रुबरु करवाया। फिर भी बहुत सारे लोग सोशल मीडिया को आभासी दुनिया और फेंक लोगों का मेला कहते है, तो कोई टाइम पास कहते है। फेसबुक, वाट्सएप, इंस्टाग्राम,टविटर को कोसते है, ये कहते ...

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देशप्रेम की अलख जगाओ

“हाथ में तिरंगा उठाकर धर्म की धुरी पर तू चलता जा, ए भारत के वासी खुद के भीतर अलख जगा देशप्रेम की, मानवता की, अपनेपन की ज्योत जला” कैसी विडम्बना है, कैसी मानसिकता है हमारी। कुछ सालों पहले जब प्रधानमंत्री के पद पर विराजमान मनमोहन सिंह जी कुछ नहीं बोलते ...

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वो कौन है

भावना ठाकर 'भावु', बेंगुलूरु

वो कौन है एक साया पल-पल उन्मादित करता, मेरी उर धरा को क्या जाने वो कौन है। उस पार से दूर के संगीत सा बजता, मेरे मन विना के तार को झंकृत करता वो कौन है। मुझे बुलाता दर्द के दाग को अश्कों से जब धोती हूँ, तब शून्य नभ ...

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