समाज शोषण की छाती छीलो, पथ के सारे पाहन तोड़ो। जो भी तुमको रोक रहे हैं, पहले उनको पकड़ मरोड़ो। जातिवादी कुछ टुच्चे तो, रहे सदा से राहों में। लैकिन इनको तोड़ो-ताड़ो, धरो शूल अब बाँहों में। कब तक रोओगे किस्मत पर, कब तक खुद को तोड़ोगे ? झूठ मूठ ...
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