सामाजिक सौहार्द भारत की मूल प्रकृति रही है। इतनी विविधताओं के बीच सद्भाव का ऐसा कोई उदाहरण दुनिया में नहीं है। भारत के अलावा अन्य कोई देश ऐसे वातावरण की कल्पना भी नहीं कर सकता। लेकिन कुछ लोग निहित स्वार्थ से प्रेरित भी होते है। वह इसमें बाधा उतपन्न करते ...
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