श्री रामकथा का प्रसार भारत तक सीमित नहीं है। दुनिया के अनेक देशों में प्रतिवर्ष सामाजिक समारोह के रूप में रामलीला का मंचन होता है। ब्रिटिश काल में बड़ी संख्या में भारतीय श्रमिक अनेक देशों में गए थे। तब उनके पास धरोहर के रूप में राम चरित मानस ही थी। ...
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