चतुरी चाचा आज बड़े प्रसन्न मुद्रा में बैठे थे। उनके आजु-बाजू ककुवा व बड़के दद्दा विराजमान थे।वहीं, कासिम चचा व मुंशीजी तपता ताप रहे थे। क्योंकि, हल्की धूप खिल जाने के बाद भी ठंडक थी। हमेशा की तरह हाथ धोने के लिए साबुन-पानी रखा था। गलियारे से गुजरने वालों को ...
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