एकता की अलख हर दिशा से उठ रही अराजकता की चिंगारियां नफरत की आग में जल रही है मानवता मैं कौनसी एकता की अलख जगाऊँ जुंझ रहे है सभी कोरोना महामारी से मैं दानवों के दल से इंसान कहाँ से लांउ हे स्वार्थी मनुष्य जाति तुम्हें प्रकृति कैसे माफ करेगी ...
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