जेल में बंद बिजली मिस्त्री ने शुक्रवार शाम को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। उसने अपने अंडरवियर और बनियान की किनारी से रस्सी बनाई। इसके बाद गले में फंदा डालकर अपनी जान दे दी। बिथरी पुलिस ने शव का पंचनामा भरने के बाद देर रात उसे जिला अस्पताल की मोर्चरी में भेज दिया है। बिहारीपुर कसगरान के रहने वाले पप्पू उर्फ सुजात की भाभी समसारा बेगम पत्नी नवाब उर्फ फिरासत उल्ला ने 28 मई 2012 को आत्मदाह कर लिया था। मरने से पूर्व उन्होंने सास मुन्नी बेगम पर जलाकर हत्या करने का आरोप लगाया था।
समसारा बेगम के मायके वालों ने मुन्नी बेगम, पप्पू उर्फ सुजात उसके भाई सलीम, सिम्मी और पप्पू की पत्नी के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था। मुन्नी बेगम की मौत हो चुकी है। पप्पू उसके दोनों भाई और पत्नी पिछले 15 महीने से जिला जेल में बंद हैं। उन्हें कोर्ट से आजीवन कारावास की सजा हो चुकी है। पप्पू के भाई सलीम ने बताया उन लोगों को झूठा फंसाया गया है। भाभी ने खुद ही जलकर आत्महत्या की थी। भाभी के मायके वालों ने हम लोगों को फंसा दिया। इस वजह से पप्पू काफी परेशान रहते थे।
शुक्रवार शाम को 4 बजे बैरक बंद होने से पहले वह चुपचाप निकल गये। बैरक से ऊपर टॉयलेट के बराबर में छत पर जाने का रास्ता है। हालांकि बाहर गेट लगा हुआ था। पप्पू ने अपनी बनियान और अंडरवियर की किनारी फाड़ी। उसे जोड़कर मिलाकर रस्सी बनाई। इसके बाद दरवाजे के कुंडे में डालकर गले में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। 5 बजे जेल में कैदियों की गिनती कम होने पर पूरे जेल में छानबीन शुरू हुई तो पप्पू गायब थे। देखा तो जीने पर घुटनों के बल उनकी लाश पड़ी थी। उनकी गर्दन गेट के कुंडे में फंसी हुई थी। इसके बाद मामले की सूचना पुलिस अधिकारियों को दी गई। जिस पर सीओ कुलदीप कुमार, इंस्पेक्टर ललित मोहन समेत पुलिस टीम पहुंच गई। पुलिस ने शव का पंचनामा भरने के बाद पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
सीढ़ियों पर लटक रहे थे पैर, जा चुकी थी पप्पू की जान
जेल के बंदी रक्षक व अन्य कैदी जब तक बैरक से निकलकर सीढ़ियों पर पहुंचे। पप्पू की जान जा चुकी थी। उनकी गर्दन रस्सी से कसी हुई थी। हालांकि पैर सीढ़ियों पर झुके हुए थे। जानबूझकर पप्पू ने पैर सीधा नहीं किया। इसकी वजह से उनकी जान चली गई।
जेल अफसरों की लापरवाही में चली गई पप्पू की जान
जेल अफसरों की लापरवाही और सुरक्षाकर्मियों की अनदेखी की वजह से पप्पू की जान चली गई। पप्पू को बैरक में बंद नहीं किया गया। उसे खुला छोड़ दिया गया। वह जेल की बिजली ठीक करता था। इस वजह से उसे छूट दे रखी थी। जिसकी वजह से वह बैरक से बाहर रहता था। मौका पाकर उसने आत्महत्या कर ली।