लखनऊ। यूपी एटीएस ने लखनऊ के बुद्धा पार्क के पास से एक और संदिग्ध आतंकी को बुधवार सुबह गिरफ्तार कर लिया। उसका नाम शकील है, जिसे पुलिस ने 11 जुलाई को पकड़े गए आतंकियों का कमांडर बता रही थी। इससे पहले पुलिस ने दुबग्गा क्षेत्र से अंसार अलकायदा हिंद (एजीएच) के मिनहाज अहमद और मसीरुद्दीन उर्फ मुशीर को गिरफ्तार किया था। लेकिन शकील फरार हो गया था। शकील के अलावा आतंकियों के 3 अन्य मददगारों को भी एटीएस ने हिरासत में लिया है। लखनऊ से शकील के अलावा मुस्तकीम को हिरासत में लिया गया है। कानपुर से लाइक और आफाक हिरासत में लिए गए हैं। इन चारों पर असलहा, बारूद उपलब्ध कराने का आरोप है।
आतंकियों का कमांडर है शकील- मिनहाज और मसीरुद्दीन से पूछताछ में एटीएस को अहम सुराग हाथ लगे हैं। यूपी में अलकायदा के आतंकी बड़ी साजिश की फिराक में थे। एटीएस का दावा है कि दोनों 15 अगस्त को सीरियल ब्लास्ट और मानव बम बनकर देश को दहलाने की साजिश रच रहे थे। एटीएस के मुताबिक इन दोनों को AGH का यूपी कमांडर शकील ऑपरेट कर रहा था। बताते चलें कि एटीएस को 11 जुलाई को लखनऊ के दुबग्गा में आतंकियों के होने का इनपुट मिला था। लेकिन घेराबंदी से पहले शकील भाग निकला था। मिनहाज अहमद और मसीरुद्दीन पकड़ में आए थे। एटीएस शकील की तलाश कर रही है।
शकील ने ब्लास्ट की बना ली थी प्लानिंग – एटीएस ने शकील की तलाश में लखनऊ, कानपुर, मेरठ, देवबंद और बाराबंकी में छापेमारी की है। मिनहाज व मसीरूद्दीन से मिले इनपुट से साफ हुआ कि इन लोगों के निशाने पर प्रदेश के प्रमुख मंदिर, स्मारक, रेलवे स्टेशन और 15 अगस्त के कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले राजनेता व पुलिसकर्मी थे। इन लोगों ने पूरे प्रदेश में करीब दर्जन भर स्थानों की निशानदेही कर सीरियल ब्लास्ट करने की योजना बना ली थी। इसके लिए इनके स्लीपिंग मॉड्यूल्स पूरी तरह से सक्रिय हो चुके थे।
अब सिम, बारूद सप्लाई करने वाले दो युवकों की तलाश
आतंकियों ने यूपी को दहलाने के लिए पूरा ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया था। यह लोग ऐसे मंदिर व बाजारों को निशाना बनाने जा रहे थे, जहां विशेष दिन ज्यादा भीड़ रहती है। सुरक्षा के नाम पर कुछ नहीं। एटीएस सूत्रों के मुताबिक, सर्च टीम लखनऊ से शकील के साथियों को कानपुर से सिम, बारूद सप्लाई करने वाले दो युवकों की तलाश कर रही है। इसके लिए स्थानीय एटीएस की टीम के साथ केंद्रीय एजेंसियों की भी मदद ली जा रही है। आतंकी मिन्हाज के संपर्क में करीब 24 लोग थे। जिसमें से यह 4 आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने में सक्रिय भूमिका निभा रहे थे। एटीएस ने बताया कि यह लोग बारूद के साथ माचिस की तीली में लगे ज्वलनशील मसाला का विस्फोटक में इस्तेमाल करने जा रहे थे। आतंकी मिनहाज के घर से माचिस की तीली से निकाला हुआ भारी मात्रा में मसाला और बारूद भी बरामद हुआ था।
दिल्ली से आई स्पेशल सेल मिनहाज और मसीरुद्दीन का संभल कनेक्शन सामने आने के बाद से इनका दिल्ली कनेक्शन खोजने में लगी है। स्पेशल सेल (एंटी टेरर यूनिट) ने साल 2015 में अलकायदा के एक्यूआईएस मॉड्यूल का खुलासा करते हुए 6 आतंकियों को गिरफ्तार किया था। उनमें से दो आतंकी मोहम्मद आसिफ एक्यूआईएस का इंडिया हेड था। जबकि दूसरा जफर मसूद फाइनेंसर था। दोनों ही संभल के रहने वाले थे। मोहम्मद आसिफ ईरान-अफगानिस्तान के रास्ते पाकिस्तान गया था। वहीं, इन्हें उमर हल मंडी निर्देश दे रहा था। जिससे मिनहाज के जुड़े होने की बात सामने आ रही है।
दिल्ली कनेक्शन तलाश रही स्पेशल सेल
मीडियाकर्मियों से मारपीट
वहीं, लखनऊ के वजीरगंज क्षेत्र में शकील के घर के बाहर पहुंचे मीडियाकर्मियों को स्थानीय लोगों ने बंधक बना लिया। साथ ही स्थानीय लोगों ने मीडिया के साथ मारपीट की है। मीडिया के कैमरे भी तोड़े गए हैं। जबकि शकील के भाई का कहना है कि भाई शकील ई-रिक्शा चलाकर परिवार का पेट पाल रहा है। अगर आतंकी होते तो उनके पास ढेर सारा पैसा होता, रिक्सा चलाने की मजबूरी न होती। वहीं, पुलिस सूत्रों के मुताबिक पूछताछ में मिन्हाज बार-बार अपने बयान बदल रहा है।
आतंक के ऑपरेशन पर परिवार की 3 चिंताएं- शकील का भाई बोला- शकील ई-रिक्शा चलाकर परिवार पालता है
शकील के बड़े भाई इलियास कहते हैं – मां सुबह से बेहोश पड़ी है। कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है। देश में अब यही रह गया है कि जिसको चाहो उठा लो। जिसपर चाहो वो इल्जाम लगा दो।
शकील की बहन बोली- ATS घर उधेड़ के गई, पर कुछ मिला नहीं
शकील की छोटी बहन बोली- मेरे भाई के आतंकवादी होने का सबूत दे। ATS आई पूरा घर उधेड़ कर रख दिया। मगर उनके हाथ कुछ न लगा। एक भी चीज मिलती तो हम मान लेते कि भाई आतंकवादी है। ई- रिक्शा चालने वाले मेरे भाई के साथ नाइंसाफी हो रही है। मुसलमान होना गुनाह है तो ठीक है हम गुनहगार है।
शकील के मोहल्ले वाले बोले- जब चुनाव आता है, ऐसा ही होता है
शकील के मोहल्ले के निवासी मुन्ना कुरैशी कहते हैं कि पूरा मोहल्ला मेहनतकश है। आज सुबह अचानक ही शकील को उठाकर ले गए। जनता दल गवर्नमेंट ने 1977 में इस मोहल्ले को बसाया है। मैं चैलेंज करता हूं कि यहां के एक भी आदमी का पुलिस रिकॉर्ड मिल गया तो मुझे फांसी पर चढ़ा दिया जाए। जब जब चुनाव आता है, ऐसा ही होता है। शकील पहले मोटरसाइकिल का काम करता था, जब वो नहीं चला तो बैटरी ई-रिक्शा चला रहा है। कोरोना काल में सबके काम-धंधे चौपट हो चुके हैं और सरकार बेवजह परेशान कर रही है।