महात्मा गांधी की ऐतिहासिक दांडी यात्रा में शामिल होने वाले 96 साल के छोटूभाई माकन का गुरुवार को जोहानसबर्ग में निधन हो गया. वे साउथ अफ्रीक से दांडी यात्रा में शामिल होने वाले अंतिम जीवित व्यक्ति थे. उनका नाम साउथ अफ्रीका में गुजराती समुदाय के बड़े नेताओं में शुमार था. उन्होंने साउथ अफ्रीका के ओल्ड ट्रांसवाल्ड प्राविंस के हिंदू समाज सेवा के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया था.
गांधीवादी नेता छोटूभाई माकन ने अपना पूरा जीवन अफ्रीका में भारतीयों की सेवा में बिताया था. उन्होंने वहां रहने वाले भारतीय समुदाय के धार्मिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक विकास के लिए काम किया था.
नमक पर कर लगाने के खिलाफ जब महात्मा गांधी ने 1930 में जब दांडी सत्याग्रह किया था तब वे अफ्रीका से आकर इसमें शामिल हुए थे. उस समय छोटूभाई माकन की उम्र मात्र 6 साल थी. माकन अक्सर अपने भाषणों में उन दिनों को याद करते थे कि कैसे महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ लाखों लोगों को खड़ा किया था.
उन्होंने अफ्रीका में मौजूद महात्मा गांधी के टॉलस्टाय फार्म के पुर्नोद्धार में भी बड़ी भूमिका निभाई थी. बता दें कि इसकी स्थापना गांधीजी से अपने दक्षिण अफ्रीका प्रवास के दौरान की थी. यह फार्म 1100 एकड़ इलाके में फैला हुआ था. माकन का गुरुवार दोपहर को जोहानसबर्ग में अंतिम संस्कार किया गया. हालांकि कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण इस दौरान कम ही लोग शामिल हो सके. साउथ अफ्रीका में लॉकडाउन के दौरान अधिकतम 50 लोगों को अंतिम संस्कार में शामिल होने की अनुमति है.