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गर्भपात कराने की सीमा को 20 हफ्ते से बढ़ाकर 24 हफ्ते करने के प्रावधान पर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दी मंजूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने चिकित्सा गर्भपात संशोधन विधेयक 2020 को बुधवार को मंजूरी दे दी. विधेयक में गर्भपात कराने की सीमा को 20 हफ्ते से बढ़ाकर 24 हफ्ते करने का प्रावधान किया गया है.

चिकित्सा गर्भपात संशोधन विधेयक 2020 को संसद के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा. किसी भी महिला के लिए गर्भपात करवाना सरल नहीं होता. महिलाएं अक्सर गर्भपात या तो किसी विवशता में करवाती हैं या फिर स्वास्थ्य कारणों की वजह से. लेकिन क्या आप जानते हैं लगातार गर्भपात करवाने से शरीर को कई नुकसान होते हैं. जिनका प्रभाव भविष्य में नजर आता है. ऐसे में आइए जानते गर्भपात करवाने से स्त्रियों को स्वास्थ्य से जुड़े आखिर कौन से नुकसान उठाने पड़ते हैं.

गर्भपात के बाद होने वाली समस्‍याएं-
1-गर्भपात का खतरा-

गर्भपात करवाने का सबसे बड़ा नुकसान यह होता है कि अगर कोई महिला तीन या इससे अधिक बार गर्भपात करवाती है तो उसकी गर्भाशय ग्रीवा के लिए खतरा पैदा होने कि सम्भावना है. इतना ही नहीं ऐसा लगातार करवाने से कुछ समय बाद अपने आप भी गर्भपात हो सकता है.

2-इंफर्टिलिटी –
कई बार गर्भपात करवाने से स्त्रियों की प्रजनन क्षमता पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है. जिसकी वजह से स्त्रियों को बांझपन, अस्थानिक गर्भावस्था या बच्चे के जन्म की कठिनाई आदि जैसी समस्याएं उठानी पड़ती हैं.

3-अस्थानिक गर्भावस्था-
बार-बार गर्भपात कराने से अस्थानिक गर्भधारण का खतरा पैदा होने कि सम्भावना है. अस्थानिक गर्भावस्था ना केवल ज़िंदगी के खतरनाक है बल्कि इससे प्रजनन क्षमता भी कम हो सकती है.

4-पेडू के सूजन की बीमारी-
बार-बार गर्भपात करवाने से (पीआईडी) पेडू के सूजन की बीमारी भी होती है. पीआईडी यानी पेल्विक इनफ्लेमेटरी डिजीज, एक जानलेवा बीमारी है. गर्भपात के समय इन्फेक्शन होने पर यह बीमारी जल्दी अपनी जद में ले लेती है. यहा स्त्रियों में बांझपन का कारण भी बन सकती है. यह फैलोपियन ट्यूब के ऊतकों पर घाव पैदा कर सकती है जिससे आगे चलकर प्रजनन क्षमता में कमी होती है. कभी कभी पीआईडी गर्भपात या अबॉरशन के बाद भी हो सकती है.

5-संक्रमण-
बार बार गर्भपात करवाने से स्त्रियों में स्वास्थ्य संबन्धित समस्याएं जैसे ज्यादा रक्तस्राव, संक्रमण, ऐंठन, एनेस्थेसिया से संबन्धित जटिलताएं, गर्भाशय में सूजन, एंडोटोक्सिक शॉक, गर्भाशय ग्रीवा का चोटिल होना रक्तस्राव आदि दिखाई देने लगती हैं.

गर्भपात के साइड इफेक्ट्स-
पेट में दर्द की शिकायत, उबकाई आना, उल्टी होना, डायरिया, स्पॉटिंग या ब्लीडिंग. आर्टिमिस हॉस्पिटल के न्यूरो बिहेवियरल एक्सपर्ट चिकित्सक प्रवीण गुप्ता के अनुसार, ‘कई बार देखा गया है कि गर्भपात के बाद महिला डिप्रेशन, मनोबल में कमी, सिर में दर्द, मूड में बार-बार परिवर्तन जैसी समस्याओं से ग्रसित हो जाती हैं.’एक बार गर्भपात करवाने से सर्वाइकल कैंसर का रिस्क तो ढाई गुना तक बढ़ जाता है. दो या उससे अधिक गर्भपात कराने पर यह खतरा चार गुना बढ़ जाता है.ऐसी महिला जो बार-बार गर्भपात करवाती हैं, उनमें विकलांग बच्चे को जन्म देने का खतरा भी बढ़ जाता है.

अबॉर्शन पिल्स लेने से पहले ये ध्यान रखें-
-पिल्स से कभी-कभी पूरी तरह से गर्भपात नहीं हो पाता. पिल्स लेने के दो सप्ताह बाद रुटीन चेकअप जरूर करवाएं.
-अगर दिल रोग, अस्थमा, डायबिटीज, एनीमिया या अन्य बीमारी से पीड़ित हैं तो पिल्स न लें. एचआईवी से ग्रस्त स्त्रियों को भी ये पिल्स नहीं दी जाती.
-अगर अच्छा तरह से गर्भपात नहीं हुआ है तो ऐसे में इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है.
-फेलोपियन टय़ूब में किसी तरह का जख्म हो जाता है तो महिला का भविष्य में मां बनना कठिन हो जाता है.

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