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माफिया बेखौफ सरकार की नमामि गंगे योजना को पलीता लगा रहे, जिम्मेदार आंखे मूंदे देख रहे…

मोहम्मदी-खीरी। नमामि गंगे गोमती को एक बार फिर मुख्यमंत्री ने एक शारदालय के लोकार्पण के दौरान याद आ ही गयी। गोमती जो अपना अस्तित्व बचाने में स्वयं असफल हो रही हैं, लुप्त होने की कगार पर भू-माफियाओ एवं खनन माफियाओ के चलते पहुंच गयी। सरकार की ‘‘नमामि गंगे योजना’’ भी नदी के अस्तित्व को बचाने में रूचि नहीं ले रही। घोर प्रदूषण एवं अवैध कब्जे के चलते गोमती की हजारो एकड़ भूमि पर भू-माफियाओ के कब्जे में लेने के चलते इसके किनारे की हरियाली भी साफ हो गयी। करोड़ो रूपयो के बेशकीमती साखू, सागौन, शीशम सहित तमाम प्रजाति एवं औषधिय गुण गुण वाले पेड़-पौधे साफ कर भू-माफिया उस पर खेती कर रहे है और खनन माफिया बेखौफ होकर बालू का खनन कर सरकार की नदियो के पानी को निर्मल एवं अविरल बनाने की योजना को पलीता लगा रहे और जिम्मेदार आंखे मूंदे देख रहे।

आदि गंगा गोमती जिसकी उत्पत्ता पीलीभीत जनपद से हुई। सैकड़ो सालो से इसकी अविरल धारा बह रही थी। एक समय था जब गोमती अपने यौवन पर होती थी तो लखनऊ जैसे महानगर मे बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाती थी तथा पीलीभीत से लेकर जौनपुर तक फ्लांगो की चैड़ाई में कल-कल करती हुई बहती थी। आज इसी आदिगंगा गोमती को अपना अस्तित्व बचाने के लिये सरकार की ओर टकटकी लगाये देख रही है। धार्मिक महत्व की इस नदी के अस्तित्व पर मडरा रहे खतरे के बादलो को देखकर कुछ उत्साही युवाओ की टोली नाले का रूप धारण कर चुकी गोमती को कचरा मुक्त करने के लिये निरन्तर सफाई अभियान चला रहे है जो गन्दगी एवं कचरे से पटी पड़ी गोमती को नाले से नदी बनाने के प्रयास में बराबर ही सफाई अभियान चलाते रहते है। निरन्तर समाचार पत्रो एवं सोशल मीडिया में गोमती मइया घुमती रहती है। लेकिन जिले में गोमती नदी के विकास एवं अवैध कब्जा मुक्त कराने के लिये कोई ठोस कार्य योजना आज तक नहीं बनाई गयी।

तहसील की पश्चिमी सीमा पर स्थित गांव बेला पहाडा से इस तहसील क्षेत्र में प्रवेश करती गोमती के इस जिले के अन्तिम गांव दरियाबाद करम हुसैन तक दोनो ओर राजस्व अभिलेखो के अनुसार हजारो एकड़ भूमि है। जिस पर कभी भारी संख्या में साखू, सागौन, शीशम सहित अन्य तमाम प्रजातियो का जंगल था तथा खाली भू-भाग में बैब जिससे बाद तैयार होता सहित फूस उगता था। जिसको काटकर गरीब अपनी झोपड़ी छाते थे तथा वन विभाग बैब एवं फूस की बिक्री कर लेता था लेकिन वन विभाग एवं राजस्व विभाग की मूक सहमति के चलते गोमती के दोनो तटो पर भू-माफियाओ का कब्जा होता गया, जंगल साफ होता गया। कल जहां जंगल था आज वहां भू-माफियाओ की खेती लहलहा रही है। जंगल भूमि के साथ-साथ सूखती गोमती की भूमि पर भी कब्जे होते गए और जिम्मेदार आंखे मूंदे रहे। फलस्वरूप गोमती अतिक्रमण एवं अवैध कब्जे के चलते सुकड़ती चली गयी साथ भीषण गन्दगी, कूड़ा करकट ने इस निरमल गोमती मइया को प्रदूषित कर दिया।

प्रदेश सरकार हर वर्षा काल में प्रदेश भर में वृक्षा रोपण कर विश्व रिकार्ड बना रही है वन विभाग इस गोमती मइया के दोनो तटो पर हर वर्ष लाखो पौधे रोपित करा रही जो कहा रोपित किये गये ये अब वन विभाग को भी नहीं मालूम, बेला पहाड़ा से मोहम्मदी तक और मोहम्मदी से पसगवां ब्लाक के गांव सेमरा जानीपुर, दिलावरनगर, फकीरापुर, कीरतपुर, मीरापुर, गोबरहा, मकसूदपुर, चपरतला, नयागांव, गुडिया खेड़ा, रंगरेजपुर, नकटी, दरियाबाद करमहुसैन, मोहम्मदी के बेला पहाड़ा, मियांपरु, नया गांव, ईटारोरा, मोहम्मदी सरायं, बनबुझा आदि गोमती के किनारे आबाद गांव है या यू कहा जाये कि इन ग्राम सभाओ से होकर गोमती मइया सीतापुर जनपद में होते हुए प्रदेश की राजधानी मे प्रवेश करती है। इन ग्राम सभाओ में गोमती की हजारो एकड़ भूमि जिस पर वन विभाग हर वर्ष बृहद वृक्षा रोपण का कार्य कराकर लाखो पेड़ लगवाता है। कागजो में होने वाले वृक्षा रोपण में रोपित किये गये पौधे लगाने के साथ ही नष्ट हो जाते है। इसी कारण जंगल जैसे वृक्षो के जंगल के बीच कल कल कर बहती गोमती आज लुप्त होने के कगार पर पहुंच गयी है। भू-माफियाओ ने गोमती नदी की धारा तक भूमि पर अवैध कब्जे कर लिये और जंगल को वन विभाग एवं पुलिस ने साफ करा दिये। साथ ही गोमती में बालू खनन माफियाओ ने गोमती की पवित्रता खत्म करा अन्धा-धुन्ध बालू का खनन कर कूड़े-कचरे से पाटकर अविरल बहती धारा को ही खत्म कर दिया।

केन्द्र सरकार नमामि गंगे योजना के तहत गोमती को भी स्वच्छ बनाने की घोषणा की थी। जो मात्र घोषणा ही साबित हुई। अब फिर मुख्यमंत्री ने राजधानी के एक मन्दिर के लोकापर्ण कार्यक्रम के दौरान एक बार गोमती की साफ-सफाई की बात कही है। गोमती को सरकार, प्रशासन, भू-माफिया, लकड़ी माफिया एवं खनन माफिया ने नदी से नाली में बदला है। इसे पुनः जीवनदान देने के लिये जरूरी है कि इसके जन्म स्थल तक शारदा नदी की धारा नहर के रूप में जोड़ी जाये। जब इसमें शारदा जुड़ेगी तो गोमती कल-कल कर बहेगी अन्यथा गोमती का बचना सम्भव नहीं दिखता मृतशय्या लेटी गोमती को अब शारदा ही जीवनदान दे सकती है।

रिपोर्ट-सुखविंदर सिंह कम्बोज

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