अमेरिका व अन्य 6 खाड़ी देशों ने 17 मई को Hezbollah हिज़बुल्लाह नेतृत्व पर प्रतिबन्ध की घोषणा की। यह दबाव ईरान व उसके सहयोगियों पर आर्थिक रूप से दबाव डालने का एक हिस्सा माना जा रहा।
Hezbollah की शूरा काउंसिल पर निशाना
अमेरिका और सऊदी अरब के नेतृत्व वाले टेररिस्ट फाइनेंसिंग एंड टार्गेटिंग सेंटर (टीएफटीसी) ने कहा कि “हिज़बुल्लाह Hezbollah नेतृत्व पर लगाया गया प्रतिबंध हिज़बुल्लाह की शूरा काउंसिल को निशाना बनाकर लगाए गए हैं। यह लेबनान की शक्तिशाली मिलिशया की निर्णय लेने वाली काउंसिल है।”
अमेरिका व अन्य खाड़ी देशों ने शिया संगठन हिज़बुल्लाह के महासचिव हसन नसरल्ला और उप महासचिव नईम कासिम और तीन अन्य शूरा काउंसिल सदस्यों पर प्रतिबंध लगा रखे हैं। इन सभी के नाम पर संपत्ति और वैश्विक वित्तीय नेटवर्कों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं।
- टीएफटीसी के छह खाड़ी देश सऊदी अरब, ओमान, कतर, बहरीन, कुवैत और संयुक्त अरब अमीरात ने हिज़बुल्लाह से संबद्व अन्य 9 लोगों और कंपनियों पर प्रतिबंधों की घोषणा की है।
- अमेरिका के वित्त विभाग ने पहले ही इन्हें ब्लैक लिस्टेड कर रखा है।
- यह दूसरी बार है जब वर्षों पुरानी टीएफटीसी संगठनों पर प्रतिबंधों की घोषणा करने के लिए एक साथ आई है।
क्या है पूरा मामला
हिज्बुल्ला क्षेत्र में शक्तिशाली सैन्य शक्ति है और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय हमलों में उसका हाथ होने की बात कही जाती है। उसका लेबनान की राजनीति में भी खासा दखल है। अमेरिका के कुछ सहयोगियों ने हिज्बुल्ला की सैन्य इकाई पर प्रतिबंध लगाए हैं जबकि समूह के राजनीतिक दल की भूमिका को स्वीकार कर लिया है। सरकार में कई लेबनानी शिया लोग इस पार्टी के प्रतिनिधि हैं।
अमेरिका ने की थी ईनाम की घोषणा
इससे पहले अमेरिका ने लेबनान के सशस्त्र समूह हिज्बुल्ला के खिलाफ अपना रुख और कड़ा करते हुए उसके दो कमांडरों पर इनाम की घोषणा की थी व अपने सहयोगी देशों से इस समूह को ब्लैक लिस्ट में डालने को कहा था।