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तेलंगाना पुलिस ने किया बहादुरी वाल काम, वृद्धाश्रम में जबरन बंधक बनाए गए 73 लोगों को किया मुक्त

तेलंगाना पुलिस ने हैदराबाद के बाहरी इलाके में उपस्थित एक वृद्धाश्रम से 73 लोगों को मुक्त कराया है. इनमें से ज्यादातर मानसिक रोग व मानसिक विकारों से पीड़ित हैं. इन्हें वृद्धाश्रम में चेन से बांधकर रखा गया था. पुलिस का बोलना है कि आश्रम का स्टाफ उपचार व देखभाल के नाम पर उनपर अत्याचार करता था. इसमें 21 महिलाएं शामिल हैं.

नगाराम गांव के आश्रम में होने वाला अत्याचार तब सामने आया जब पड़ोसियों ने जंजीरों में जकड़े हुए लोगों की चीख-पुकार सुनी व पुलिस को फोन करके बुलाया. केयरटेकर के विरूद्ध माता- पिता व वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण तथा कल्याण अधिनियम 2007 के तहत मुद्दा दर्ज कर लिया गया है. आश्रम में उपस्थित सभी लोगों को अस्पताल भेजा गया है. पुलिस ने कहा, ‘वृद्धाश्रम के प्रबंधन के विरूद्ध धोखाधड़ी का मुद्दा भी दर्ज किया गया है. हमें शिकायत मिली थी कि मनोरोगी व मानसिक रूप से परेशान व्यक्तियों को घर के अंदर जंजीरों में कैद करके रखा गया है व उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है. मुद्दे में जाँच जारी है.’

पुलिस के अनुसार शैक रतन जॉन पॉल, के भरती व तीन अन्य लोग मिलकर दो घरों में ममता वृद्धाश्रम चलाते हैं. यह पाया गया कि वे एक मनोरोग पुनर्वास केन्द्र चला रहे थे व उन्होंने मानसिक रोगियों, मानसिक रूप से परेशान व्यक्तियों व कुछ शराबियों को इन घरों में रखा था.

पुलिस ने पाया कि केयरटेकर्स मे 52 पुरुषों को एक घर में रखा था व दूसरे घर में 21 स्त्रियों को अस्वास्थ्यकर स्थिति में चेन से बांधकर रखा गया था. सूत्रों का बोलना है कि इन निर्बल लोगों को कई बार अनुशासन में रखने के लिए डंडों से पीटा जाता था.

केयरटेकर्स प्रति आदमी के परिवार से देखभाल व उपचार करने के नाम पर हर महीने 10 हजार रुपये लिया करते थे. सूत्रों का बोलना है कि केयकटेकर्स के पास इस तरह के लोगों का ठीक उपचार करने के लिए उचित डिग्री नहीं है. इसके अतिरिक्त उनका मनोरोग पुनर्वास केन्द्र अपंजीकृत है.

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