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फिर बनेगा पौधरोपण का नया कीर्तिमान

डॉ दिलीप अग्निहोत्रीसीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने कार्यकाल में अनेक सार्थक कीर्तिमान बनाये हैं। प्रयाग राज कुम्भ आयोजन में कई विश्वस्तरीय कीर्तिमान स्थापित हुए थे। समय के साथ उनकी यह यात्रा भी बढ़ती रही। अयोध्या का भव्य दीपोत्सव भी इसी सूची में सबसे शीर्ष पर है। इसी तरह से पौधरोपण में वर्तमान सरकार अपने ही कीर्तिमान को प्रतिवर्ष पीछे छोड़ती जा रही है। जिससे पौधरोपण के नए कीर्तिमान बनते गए। एक बार फिर यह इतिहास अपने को दोहराएगा।

प्रदेश सरकार द्वारा 30 करोड़ पौधरोपण का लक्ष्य 

विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर बोलते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश सरकार विगत वर्षाें के दौरान पर्यावरण को संरक्षित करने के उद्देश्य से वृहद स्तर पर वृक्षारोपण कर रही है। राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2017 में 05 करोड़, वर्ष 2018 में 11 करोड़ तथा वर्ष 2019 में 22 करोड़ वृक्ष रोपित किये गये। इसी प्रकार वर्ष 2020 में कोरोना कालखण्ड में भी 25 करोड़ से अधिक वृक्ष लगाए गये। उन्होंने कहा कि इस वर्ष आगामी जुलाई माह मेें वन महोत्सव के दौरान प्रदेश सरकार द्वारा 30 करोड़ पौधों को रोपित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

परम्परागत व औषधीय वृक्षों को वरीयता

भारत के ऋषियों ने आदि काल में ही वृक्षों पर व्यापक शोध किया था। उन्होंने पर्यावरण व ऑक्सीजन की दृष्टी से सर्वाधिक उपयोगी पेड़ों को चिन्हित किया था। आधिनिक विज्ञान भी इस तथ्य को स्वीकार करता है। इन वृक्षों की पूजा हमारी संस्कृति में शामिल है। यह प्रेरणा घर से ही प्रारंभ हो जाती है, जहां तुलसी का चौरा स्थापित किया जाता है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पौधरोपण कार्यक्रम में परम्परागत वृक्षों जैसे पीपल, बरगद, पाकड़, देशी आम व अन्य औषधीय वृक्षों को महत्व देने की आवश्यकता है। यह वृक्ष प्रकृति की सुरक्षा और संरक्षण में योगदान देते हैं। प्रदेश सरकार द्वारा वन विभाग को एक लक्ष्य दिया गया था कि जिसके क्रम में सौ वर्ष से अधिक आयु के जितने भी पेड़ है, उन्हें हेरिटेज वृक्ष के रूप में संरक्षित करने का महा अभियान चलाया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण है तो प्रकृति है, प्रकृति है तो जीव सृष्टि भी है। इसलिए जीव सृष्टि की सुरक्षा के लिए आवश्यक है कि सभी लोग पर्यावरण के प्रति जागरूक हो। उन्होंने कहा कि हम सब तभी तक सुरक्षित है, जब तक हमारा पर्यावरण सुरक्षित है। हमें प्रकृति और पर्यावरण के बीच में समन्वय बनाकर रखना होगा, यह हमारा नैतिक दायित्व भी है।

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