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प्रतिभाएं हैं पर सुविधाएं नहीं : कहां से निकलेंगे अच्छे क्रिकेटर व धावक, क्या खेतों में खेल और सड़कों पर दौड़कर निखरेंगे देश के भविष्य?

औरैया बिधूना। तहसील क्षेत्र में खिलाड़ियों के लिए न सुविधाएं हैं न संसाधन। स्टेडियम न होने से क्रिकेट के अलावा दूसरे खेल भी प्रभावित हो रहे है। फौजी बनकर देश की सेवा करने की चाहत रखने वालों को दौड़ने व अन्य व्यायाम के लिए सड़कों का सहारा लेना पड़ता है। न कोई कोचिंग देने वाला है, न ही कोई ग्राउंड है। फिर खेल के क्षेत्र में युवाओं की प्रतिभा में कैसे निखार आयेगा।

तहसील क्षेत्र के कस्बा रुरुगंज के आसपास के एक सैकड़ा युवा सेना में जाकर देश की सेवा करने का सपना संजोये बैठे है। इसी सपने को साकार करने के लिए वो व्यायाम व दौड़ने के अभ्यास के लिए सुबह शाम बिधूना-अछल्दा या रुरुगंज-कुदरकोट मार्ग पर भारी संख्या में एकत्र होते है। जिन पर अभ्यास के दौरान दुर्घटना का खतरा भी बना रहता है। वाहनों के आवागमन की वजह से युवा सही से प्रैक्टिस भी नहीं कर पाते हैं।

सबसे ज्यादा परेशानी तो क्रिकेट व बैडमिंटन के खिलाड़ियों को होती है। उनके लिए कोई मैदान नहीं होने से खेतों या गलियों में मैच खेलकर मन बहला लेते है। लेकिन ऐसे खेल से क्षेत्र को बड़े स्तर के खिलाड़ी कैसे मिल पाएंगे। युवाओं की #प्रतिभा को कैसे निखारा जाए ये सवाल अभिभावकों को रात दिन परेशान करता रहता है। अभिभावकों का कहना है कि स्कूलों और कॉलेजों में जिला स्तर पर अन्य खेल के साथ क्रिकेट की प्रतियोगिताएं भी हो। जिससे होनहार खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभाएं दिखाने का अवसर मिलता रहे। ऐसे आयोजनों से क्षेत्र की प्रतिभायें भी सामने आएंगी।

ग्रामीण अंचलों में बड़े शहरों की तरह अच्छे ग्राउंड, सुविधाएं व कोच न होने के कारण प्रतिभाएं दम तोड़ रही हैं। तीन साल से बढ़िन में बनने वाले स्टेडियम से युवाओं की आस लगी है लेकिन स्टेडियम का काम कब खत्म होगा, ये अभी कहा नही जा सकता। बढिन गांव में करीब साठ बीघा जमीन पर स्टेडियम बनाया जा रहा है। चर्चा है कि स्थानीय नेताओं के दावपेंच के चलते निर्माण कार्य सामान्य गति से नही चल पा रहा है।

अभिभावकों का मांग

देवेश के पिता कृष्ण मुरारी, रौनक गुप्ता के भाई गौरव गुप्ता, बेटू यादव के पिता सर्वेश यादव एवं अनुज कुमार के पिता इंद्रपाल ने कहा कि संसाधनों के अभाव में बच्चे न तो खेल पा रहे और न ही पर्याप्त अभ्यास कर पा रहे। स्टेडियम का निर्माण कार्य जल्द पूरा कराया जाए। जिससे आउटडोर गेम वाले बच्चों को सही से अभ्यास का मौका मिल सके। तभी होनहार बच्चों की प्रतिभा निखर कर सामने आएगी। जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से स्टेडियम का निर्माण कार्य जल्द से जल्द पूरा कराने मांग की।

क्या कहते हैं खिलाड़ी

कानपुर यूनिवर्सिटी की गोलाफेंक प्रतियोगिता में लगातार तीन बार के स्वर्ण पदक विजेता कपिल पोरवाल का कहना है कि क्षेत्र में अभी भी खिलाड़ियों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही। क्षेत्र में कहीं भी खिलाड़ियों के लिए खेलने के मैदान नहीं है, और न ही इंडोर गेम के लिए सुविधाएं हैं। सुखद परिणाम के लिए खेल की सुविधाएं जल्द मुहिया कराई जाएं।

प्रदेश स्तर पर पोलवाल्ट का स्वर्ण पदक जीतने वाले खिलाड़ी संजीव कुमार ने कहा कि स्टेडियम और सुविधाओं का #अभाव है, खेलने के लिए न तो जगह मिलती है और न ही उपयोग हेतु सामग्री। मेरा भी सपना देश के लिए गोल्ड जीतने का है पर सुविधाओं, मैदान व अनुभवी कोच के अभाव में आगे की राह बहुत कठिन है।

रिपोर्ट – संदीप राठौर चुनमुन

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