लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा में गत दिनों उर्दू को लेकर शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। विपक्षी पार्टियां प्रदेश की बीजेपी सरकार पर उर्दू के अपमान का आरोप लगा रही हैं। इस क्रम में लोकदल उर्दू के अपमान को भारत भारत का अपमान बताया है। लोकदल अध्यक्ष चौधरी सुनील सिंह ने कहा है कि सदन में अंग्रेजी भाषा का विरोध होना चाहिए ना कि उर्दू भाषा का। गांव में कौन सुनेगा अंग्रेजी?
लोकदल अध्यक्ष चौधरी सुनील सिंह ने कहा है कि उर्दू’ पर बवाल मचाने वाले जानते ही नहीं कि इसमें 75 प्रतिशत शब्द संस्कृत और प्राकृत से आए हैं। उन्होंने कहा कि यह हिंदुस्तान नहीं होता तो उर्दू जुबान भी नहीं होती। चौधरी सुनील सिंह ने कहा है कि सदन में वास्तव में सदन में अंग्रेजी भाषा का विरोध होना चाहिए ना कि उर्दू भाषा का।
चौधरी सुनील सिंह ने कहा कि उर्दू भाषा का इतिहास समृद्ध और विविधताओं से भरा हुआ है। इसकी उत्पत्ति और विकास भारतीय उपमहाद्वीप में ऐतिहासिक परिवर्तनों के साथ हुआ। उर्दू ने भारतीय साहित्य को नई दिशा दी हैं। उर्दू को देश के लोगों के दिलो से नही निकाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी भाषा को गांव में सुनने व समझने वाले लोग नहीं है। सदन में भाषाओं पर सरकार की टिप्पणी बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।
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