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soul को जानने के लिए पहले स्वयं को जाने

रायबरेली। वीतराग तितीक्षामूर्ति परमहंस स्वामी सूर्य प्रबोधाश्रम (स्वामी स्वात्मानन्द) जी महराज ने श्रीमद्भागवत हृदय कथा सप्ताह के अंतिम दिन कहा कि शास्त्रों में निर्दिष्ट है कि हमें अपनी soul को जानने के लिए उपाय करने चाहिए। हमें अपने में अपने को खोजना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रकृति में उपलब्ध वस्तुओं में से कुछ विचार खोजकर अपने को ज्ञानी या पूर्ण मान लेना बुद्धिमत्ता नहीं है। अपितु ज्ञानी को आत्मतत्व की खोज करनी चाहिए।

soul, गोपियां के वियोग का किया गया भावुक चित्रण

स्वामी जी महराज ने गोपियों के वियोग का बड़ा भावुक चित्रण प्रस्तुत किया। जिसे सुनकर श्रद्धालु श्रोताआें की आंखें छलक उठी। उन्होंने कहाकि गोपियां कृण से कोई अपेक्षा नहीं रखती। जब उद्धव जी गोपियों के सम्मुख पहुंचते हैं उस समय गोपियां कोप की अवस्था में होती हैं। उनका यह कोप प्रनय कोप है। स्वामी जी ने प्रनय कोप को विलेात करते हुए बताया कि विनम्रता पूर्वक क्रोध प्रकट करना प्रनय क्रोध होता है, इसमें दया होती है। गोपियां भी कृष्ण के प्रति प्रनय कोप में हैं। स्वामी जी ने कहाकि उद्धव जैसा व्यक्ति ही गोपियों के प्रेम को पहचान सकता था। वियोगी व्यक्ति गोपियों के प्रेम की परिभाषा नहीं कर सकता। प्रेम को ज्ञानी और निर्विकार भाव सम्पन्न व्यक्ति ही जान सकता है।

निराकार साधक की दृष्टि में साकार उपासना का निधान नहीं

ज्ञानमूर्ति स्वामी जी महराज ने कहा कि प्रभु की साधना में शब्द भेद नहीं है। निराकार साधक की दृटि में साकार उपासना का निधान नहीं होता। इसी तरह साकार साधक दृटि में भी निराकार साधना का निधान नहीं होता। उन्होंने कहा कि जिनके जीवन में साधना के साथ हिंसा है वे न साधक हैं और न ही धार्मिक। स्वामी जी ने कहा कि वैदिक वांग्ड्मय में सर्व कार्य समाधान एवं सर्वज्ञान उपलब्ध है। वैदिक वांग्ड्मय के अतिरिक्त और कहीं खोजने की आवयकता नहीं है। हमें स्वयं से प्रण करना चाहिए कि यह ब्रहमाण्ड आया कहां से, इस संसार का निर्माण कैसे हुआ? अनन्त का सतकर्तापूर्वक अन्वेण करना चाहिए क्योंकि जो अनन्त है वही अंत है।

भारी संख्या में लोगों ने लिया हिस्सा

इस अवसर पर कथा यजमान सुनील सिंह, सुमन सिंह, सुरेश नारायण सिंह बच्चा बाबू, शान्तनु सिंह, अम्बुज दीक्षित, मनोज पाण्डेय बजरंगदास, राम गोपाल त्रिपाठी, शीतलाशंकर बाजपेयी लम्बू, राकेश पाण्डेय, शेर बहादुर सिंह, शोभनाथ अवस्थी, डॉ0 विनय भदौरिया, चन्द्रकिशोर बाजपेयी, सुशील शुक्ला, आरके पाण्डेय, जगदम्बा तिवारी, वीरपाल सिंह, अवध कुमार अवस्थी, मनोज कुमार गुप्ता, त्रिवेणी सिंह आदि लोग मौजूद रहे।

रिपोर्ट—दुर्गेश कुमार मिश्र

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