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औरैया में मिशन शक्ति अभियान के तहत 29 अभियुक्तों को कठोर कारावास, 264 की जमानत निरस्त कराई : पुलिस अधीक्षक

औरैया। जिले में मिशन शक्ति अभियान के तहत वर्ष 2021 में जिला शासकीय अधिवक्ता दंड व पुलिस द्वारा महिला सम्बन्धी अपराध में तत्पर्यता दिखाते हुए न्यायालय में पैरवी कर 29 अपराधियों को जहां कठोर कारावास की सजा दिलाई गयी वहीं 264 अपराधियों की जमानत निरस्त कराई गयी।

पुलिस अधीक्षक अभिषेक वर्मा ने शनिवार को यहां यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जिला शासकीय अधिवक्ता एवं पुलिस के साझा प्रयास व तत्पर्यता से मिशन शक्ति अभियान के तहत के वर्ष 2021 में छह अभियोगों में सात अभियुक्तों को आजीवन कारावास, सात अभियोगों में सात अभियुक्तों को 10 वर्ष या अधिक का कारावास, 12 अभियोगों में कुल 15 अभियुक्तो को 10 वर्ष से कम का कारावास की सजा दिलाई गयी है। बताया कि इस समयावधि में 207 महिलाएं एवं बालिकाओं से संबंधित अभियोगों में कुल 264 अभियुक्तों की जमानत निरस्त कराई गई। जिससे समाज में न्याय व्यवस्था के प्रति एक अच्छा संदेश गया एवं अपराधियों में भी यह भय उत्पन्न हुआ कि महिला एवं बच्चियों के साथ कोई अपराध किया जाता है तो प्रशासन द्वारा उनके विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जाएगी।

उन्होंने बताया कि मिशन शक्ति अभियान के अंतर्गत सभी पुलिस अधिकारियों एवं कर्मचारियों एवं अभियोजन द्वारा अच्छा कार्य किया गया जिसके लिए यह सभी लोग बधाई के पात्र है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की अति महत्वाकाक्षी योजना जिसका प्रमुख उद्देश्य महिला सम्मान, महिला सशक्तिकरण, महिला सुरक्षा एवं महिला स्वाबलंबन को बढ़ावा देना है। प्रथम चरण अक्टूबर 2020, द्वितीय चरण मार्च 2021 व तृतीय चरण अगस्त 2021 में शुरू किया गया जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पुलिस विभाग का मुख्य ध्येय महिलाओं के विरूद्ध होने वाले अपराधों में कमी लाना तथा महिला सुरक्षा के मामलों में प्राथमिकता देने का है‌, जिससे ऐसे समाज की संरचना हो जिसमें महिलाएं, किशोरियां व बच्चे बिना किसी डर, भय व दबाव के अपने घर से निकल सके तथा अपने सपनों को पूरा कर सके।

उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों के अनुपालन में जनपद औरया के समस्त पुलिस अधिकारियों/कर्मचारियों को यह स्पष्ट तौर पर निर्देशित किया गया है कि महिला सुरक्षा में किसी तरह की कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यदि किसी महिला/बालिका/बच्चों के विरुद्ध कोई अपराध घटित होता है तो ऐसे मामलों की प्राथमिकता के आधार पर त्वरित विवेचना की जाए एवं कम से कम समय में आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किए जाए एवं विचारण के दौरान भी या निर्देश दिए गए हैं कि महिलाओं एवं बालिकाओं के विरुद्ध अपराधों में बिना किसी देरी के साक्षी न्यायालय में उपस्थित हो और बिना किसी डर, भय व दबाव के अपने साक्ष्य अंकित कराये। यदि कोई साथी ऐसा कोई प्रार्थना पत्र देता है या ऐसा प्रतीत होता है कि साक्षी या उसके घर वालों को अभियुक्त या उसके घर वालों से जान का खतरा है या उस पर किसी प्रकार का दबाव बनाया जा रहा है तो तत्काल उस साक्षी को उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार विटनिस प्रोटेक्शन के तहत उचित सुरक्षा प्रदान की जाये।

पुलिस अधीक्षक ने कहा कि मूल रूप से सामाजिक न्याय व्यवस्था के तहत शासन की मंशानुरूप अपराधियों में यह संदेश जाना चाहिए कि यदि उन्होंने कोई अपराध किया है तो उन्हें सजा अवश्य मिलेगी तथा उन्हें बख्शा नहीं जाएगा एवं कठोर से कठोर दंड दिलवाया जाएगा। इसके अलावा पीड़ित पक्ष को यह संदेश भी जाता है कि यदि उनके साथ कोई अपराध हुआ है तो वह बिना किसी भय के अपने साथ घटित घटना को बताएं जिससे उनके साथ न्याय किया जा सके तथा उस अपराध के लिए अपराधी को सजा दिलाई जा सके।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर

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