महात्मा गांधी खादी को केवल वस्त्र नहीं विचार धारा मानते थे। उन्होंने अपने अहिंसक सत्याग्रह के जो साधन निर्मित किये थे,उनमें इसका भी स्थान था। इसके माध्यम से वह ब्रिटिश सत्ता को सीधी चुनौती देते थे। अंग्रेजों के पहले भारत के गांव गांव में वस्त्र उद्योग बहुत प्रचलित था। कुटीर व लघु उद्योग के रूप में इसका व्यापक प्रचार था। लेकिन अंग्रेज आर्थिक शोषण के लिए इसको समाप्त करना चाहते थे।
वह भारत से वस्त्र उद्योग का कच्चा माल ब्रिटेन भेजते थे,वहां का निर्मित वस्त्र भारत में बेचना चाहते थे। इसके मुकाबले के लिए महात्मा गांधी ने स्वदेशी आंदोलन चलाया था। खादी व चरखा उसका प्रतीक था। उन्होंने खादी को देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था,रोजगार स्वाभिमान और स्वावलंबन से जोड़ा था। यह केवल भारतीय वस्त्र उद्योग की अवधारणा ही नहीं थी। इसके साथ ग्रामीण परिवेश से जुड़े अन्य उद्योगों को भी शामिल किया था। इनमें माटी, टोकरी, जुट पशुपालन एवं कृषि से जुड़े अन्य कुटीर उद्योग भी शामिल थे।
इस व्यवस्था से ग्रामीण रोजगार सुलभ होते है। इसी के साथ गांव से पलायन भी रुकता। वर्तमान केंद्र व उत्तर प्रदेश गांधी जी के इस विचार को प्रभावी रूप में क्रियान्वित कर रही है। प्रधानमंत्री ने गांधी जी की प्रेरणा से स्वच्छता अभियान शुरू किया था। स्वच्छता गांधी जी का मूलमंत्र था। उनका मानना था कि स्वच्छता को जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए। यदि व्यक्ति स्वच्छता को नहीं अपनाता तो वह स्वस्थ नहीं होता।
स्वस्थ न होने की स्थिति में वह अनुशासित नहीं होता और यदि वह अनुशासित नहीं है तो उसमें नेतृत्व या लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कार्य करने की क्षमता नहीं होती। योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस संबन्ध में उल्लेखनीय कार्य किये है। दो वर्ष पहले उत्तर प्रदेश खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग तथा फ्लिपकार्ट के मध्य हस्ताक्षरित एमओयू भी किया गया था। सोलर चरखे,इलेक्ट्रिक चाक, दोना पत्तल बनाने की मशीन को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। सरकार संबंधित कारीगरों को यह सुविधा उपलब्ध करा रही है।
इसके अलावा प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग रोजगार योजना तथा दीन दयाल ग्रामोद्योग योजना का लाभ भी प्रदान किया जा रहा है। विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लाभार्थियों ऋण प्रदान किए जा रहे है। इस उद्योग की इकाइयों पर मूलधन ऋण के रूप में जो अवशेष उसके सम्बन्ध में एकमुश्त समाधान योजना भी प्रस्तावित की गई। उत्तर प्रदेश खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा संचालित किए जा रहे प्रशिक्षण केन्द्रों को कौशल विकास से जोड़ा गया। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गांधी जी का सपना स्वदेशी और स्वावलम्बन का था। जिसका आधार खादी बनी। खादी केवल एक वस्त्र नहीं।बल्कि एक विचार और भारत की पहचान है।
खादी ने स्वाधीनता आन्दोलन को एक नई ऊंचाई दी। देश को आजाद कराया। खादी व ग्रामोद्योग के क्षेत्र में व्यापक सम्भावनाएं हैं। इस क्षेत्र के अंतर्गत कम पूंजी में सर्वाधिक रोजगार उपलब्ध कराने की क्षमता है। वर्तमान प्रदेश सरकार द्वारा बड़ी मात्रा में ऋण व अनुदान उपलब्ध कराए गए। बन्द पड़े कम्बल कारखाने पुनः प्रारम्भ कराए गए। यह कारखाने अच्छी क्वालिटी के कम्बल का उत्पादन कर रहे हैं। गांधी जी के ग्राम स्वराज्य और स्वावलम्बन की अवधारणा को मूर्त रूप देने के लिए खादी की उत्कृष्टता को बढ़ाना दिया जा रहा है। इसे आधुनिक तकनीक के साथ जोड़ा जा रहा है। इसके दृष्टिगत सोलर और इलेक्ट्रिक चरखे को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इससे लोगों को रोजगार मिल रहा है। प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों को खादी की गुणवत्तापूर्ण यूनीफाॅर्म उपलब्ध कराने के लिए महिला स्वयंसेवी समूहों को जोड़ते हुए कार्य देने की योजना बनाई गई। यह ग्रामीण स्वावलम्बन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
खादी उत्पाद के लिए नये उपकरणों को अपनाते हुए प्रशिक्षण भी दिलाया जा रहा है। परम्परागत रोजगार और उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए उप्र माटी कला बोर्ड का गठन किया गया। अप्रैल माह से जून माह तक कुम्हार और प्रजापति समुदाय के लोगों को तालाबों की मिट्टी निःशुल्क उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। इससे उत्पादों के लिए लोगों को निःशुल्क मिट्टी प्राप्त हो सकेगी। जल संचयन व संरक्षण कार्यक्रम को बढ़ावा मिल रहा है। उत्पादों की पैकेजिंग और डिजाइन में सुधार लाकर इन्हें पूरे देश में लोकप्रिय बनाया जा रहा है। एक जनपद एक उत्पाद योजना के माध्यम से प्रत्येक जनपद के विशिष्ट उत्पादों और उनसे जुड़े शिल्पियों व कारीगरों को लाभ हो रहा है। उप्र खादी महोत्सव खादी को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। स्वदेशी दर्शन को आमजन के साथ जोड़ते हुए उसकी दिनचर्या में शामिल करने की आवश्यकता है। इससे रोजगार,स्वावलम्बन, समृद्धि की दिशा में प्रदेश व देश आगे बढ़ेगा।
भारत एक महाशक्ति के रूप में उभरेगा। स्वदेशी का विचार हमारे आर्थिक स्वावलम्बन का आधार बन रहा है। खादी एवं ग्रामोद्योग और माटी कला बोर्ड के माध्यम से आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने में मदद मिली है। खादी को युवाओं और आधुनिकता से जोड़े जाने की दिशा में तेजी से कार्य किया जा रहा है। इस क्रम में योगी आदित्यनाथ कुछ दिन पहले लखनऊ में खादी महोत्सव एवं सिल्क एक्सपो का उद्घाटन किया था। इस कार्यक्रम का आयोजन आजादी के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत किया गया। प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत वोकल फॉर लोकल को प्रोत्साहित किया जा रहा है। खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग द्वारा प्रदेश में देशी,स्वदेशी व स्थानीय उत्पादों को तकनीक से जोड़ा जा रहा है। एक जनपद एक उत्पाद योजना,विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना तथा माटी कला बोर्ड से जुड़ी योजनाएं प्रदेश में एक ब्राण्ड के रूप में उभरी हैं।
खादी पहले से ही अपने आप में आजादी का ब्राण्ड था। अब वह आत्म निर्भर भारत का ब्राण्ड बनने जा रहा है। खादी ने आजादी के लिये संघर्षरत स्वतंत्रता सेनानियों को एक मंच प्रदान किया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के आत्मनिर्भर भारत के संकल्पों को आगे बढ़ाने में खादी ब्राण्ड के रूप कार्य कर रही है। खादी को मैनुअल चरखे के जगह सोलर चरखे से जोड़ा गया है। यह कामगारों की आय बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो रहा है। एक जनपद एक उत्पाद योजना के माध्यम से परम्परागत उद्यम को प्रोत्साहन दिया गया। इन परम्परागत उद्योगों को तकनीक से जोड़कर एक नया आयाम दिया गया। कुम्हारी कला को विशेष महत्व दिया गया है।
इसका परिणाम है कि चीन से आने वाली मूर्तियां प्रदेश में बनायी जा रही मूर्तियों के सामने टिक नहीं पायेंगी। खादी एवं ग्रामोद्योगी उत्पादों के प्रचार प्रसार एवं उनको लोकप्रिय बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके दृष्टिगत ग्रामोद्योगी प्रदर्शनियों का राष्ट्रीय,राज्य,मण्डल एवं जनपद स्तर पर आयोजन कराया जाता है। खादी और ग्रामोद्योग विकास एवं सतत स्वरोजगार प्रोत्साहन नीति के अन्तर्गत टूलकिट्स कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। इसके अंतर्गत खादी उत्पादन में वृद्धि एवं खादी कामगारों की आय में वृद्धि के उद्देश्य से खादी संस्थाओं को निःशुल्क सोलर चरखे का वितरण किया गया है।
हजारों की संख्या में लाभार्थियों को निःशुल्क टूलकिट्स तथा सोलर चरखे,विद्युत चालित कुम्हारी चाक, दोना पत्तल मशीन एवं आधुनिक भट्ठी पगमिल वितरित किये गये हैं। भुर्जी समाज के परम्परागत एवं अन्य कारीगरों को निःशुल्क आधुनिक मशीन पॉपकॉर्न मेकिंग मशीन तथा दोना पत्तल कार्य में लगे परम्परागत एवं अन्य सम्बन्धित कारीगरों को निःशुल्क दोना पत्तल मेकिंग मशीनों का वितरण कराया गया है। रेशम उत्पादन हेतु वृक्षारोपण,कोया उत्पादन व धागाकरण हेतु केन्द्र व प्रदेश सरकार द्वारा सामान्य वर्ग के लाभार्थियों को पचहत्तर प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लाभार्थियों को नब्बे प्रतिशत उत्पादन का अनुदान तथा निःशुल्क प्रशिक्षण एवं तकनीकी परम्परागत खेती की तुलना में रेशम उत्पादन द्वारा कृषक लगभग दो गुनी आय अर्जित कर सकते हैं।
इसके दृष्टिगत वर्तमान राज्य सरकार द्वारा रेशम उत्पादन में वृद्धि के लिए अनेक कदम उठाये गये हैं। पहले प्रदेश के लाभार्थी प्रशिक्षण के लिए राज्य से बाहर कर्नाटक, पश्चिम बंगाल,मध्य प्रदेश जाते थे। राज्य सरकार द्वारा मिर्जापुर स्थित लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल राजकीय प्रशिक्षण संस्थान का निर्माण पूर्ण कराकर प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया। पांच वर्ष पहले राज्य में कोई भी उन्नत किस्म की रीलिंग मशीन नहीं थी। वर्तमान सरकार द्वारा पीलीभीत और बहराइच में एक एक रीलिंग मशीन की स्थापना कराकर प्रदेश में ही धागाकरण कराया जा रहा है।
इस वित्तीय वर्ष में तेरह और रीलिंग मशीनों की स्वीकृति प्रदान कर दी गयी है। उत्तर प्रदेश की जलवायु के अनुकूल अनुसंधान करने हेतु कोई केन्द्र न होने के दृष्टिगत प्रदेश सरकार द्वारा केन्द्रीय रेशम बोर्ड,भारत सरकार की मांग पर लखनऊ में क्षेत्रीय रेशम अनुसंधान केन्द्र की स्थापना हेतु पांच एकड़ भूमि उपलब्ध करा दी गयी है।