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रायबरेली में दलित कार्ड खेल सकती है कांग्रेस 

रायबरेली। पिछले कुछ समय से कांग्रेस पार्टी अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष करती नजर आ रही है। हाल ही सम्पन्न हुए लोकसभा के चुनाव में रायबरेली की संसदीय सीट से कांग्रेस पार्टी की सोनिया गांधी ने जीत दर्ज की। कहा जाता है कि रायबरेली में चुनाव कांग्रेस पार्टी का प्रत्याशी नहीं बल्कि जनता चुनाव लड़ती है। अपने सम्मान को बचाने के लिए कांग्रेस पार्टी प्रदेश से लेकर जिला नेतृत्व तक परिवर्तन कर रही है।  इसी क्रम में रायबरेली जनपद में भी जातीय समीकरण को दृष्टिगत रखते हुए नये चेहरों की तलाश जारी है।
 
हालांकि सामान्य वर्ग ने तो काफी समय तक पार्टी को अपनी सेवायें दी हैं, पिछड़ी एवं दलित बिरादरी का ही कोई चेहरा सामने आ सकता है। ऐसा सूत्र बताते हैं कि पिछड़ी जाति से तो कई चेहरे पार्टी में दम-खम के साथ अपने सिर पर सेहरा बंधवाने को बेताब हैं, परन्तु रायबरेली की राजनीति में दलित बिरादरी चुनाव जिताऊ के रूप में हमेशा से देखी जाती रही है। बात करते हैं दलित बिरादरी की तो कांग्रेस पार्टी में इस समय दलित बिरादरी से विधान सभा का चुनाव लड़ चुके एवं कई सामाजिक संगठनों में भागीदारी करने वाले युवा तेज तर्रार संघर्षशील एवं सड़कों पर संघर्ष करने के लिए विख्यात संजय कुमार पासी का नाम सबसे तेजी से उभर कर सामने आ रहा है।
एक अरसा बीत चुका है कि कांग्रेस ने किसी दलित नेता के नेतृत्व नहीं पाया। रायबरेली का दलित समाज संजय कुमार पासी में अपने नेता की छवि देख रहा है और राष्ट्रीय नेतृत्व का ध्यानाकर्षण इस ओर करा रहा है कि जनपद में करीब सात लाख पासी समाज के लोग हैं, जो किसी भी चुनाव में अहम भूमिका अदा कर सकते है। सूत्र बताते हैं कि यदि कांग्रेस पार्टी दलित नेता संजय कुमार पासी पर दांव खेलती है तो इसके परिणाम आगामी चुनावों में सुखद अनुभूति कराने वाले होंगे।
रिपोर्ट-रत्नेश मिश्रा

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