कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की एचडी. कुमारस्वामी की सरकार के गिरने के बाद BJP के बीएस येदियुरप्पा चौथी बार सूबे के मुख्यमंत्री पद की कमान संभालने जा रहे हैं। येदियुरप्पा ने आज सुबह 10 बजे राज्य के राज्यपाल वजुभाई वाला से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया। इसके बाद बाहर आकर मीडिया से बताया कि वह शाम 6 बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं।
इसके बाद अब ये खबर आ रही है कि येदियुरप्पा को अपना बहुमत साबित करने के लिए 5 दिन का समय मिलेगा। यानि येदियुरप्पा को 31 जुलाई को अपना फ्लोर टेस्ट देना होगा और उसमें अपना बहुमत साबित करना होगा। हालांकि यह जितना आसान दिखता है उतना आसान है नहीं।
भले ही एचडी कुमारस्वामी की सरकार फ्लोर टेस्ट में फेल हो गई थी और उसे मात्र 99 वोट ही मिले थे और विपक्ष में 105 वोट पड़े थे, लेकिन वर्तमान में विधानसभा की जो स्थिति दिखाई दे रही है उससे येदियुरप्पा को अपना बहुमत साबित में काफी कठिनाई हो सकती है।
भले ही अभी बीजेपी के पक्ष में ज्यादा विधायक दिखाई दे रहे हैं। लेकिन स्पीकर केआर रमेश ने अभी भी पेंस फंसा रखा है। स्पीकर रमेश ने कांग्रेस के तीन विधायकों को दलबदल कानून के तहत गुरुवार को अयोग्य घोषित कर दिया है। इसके बाद ये तीनों अब अगले विधानसभा चुनाव तक यानि कि साल 2023 से पहले चुनाव नहीं लड़ सकते।
अब अगर स्पीकर अन्य बागी बचे विधायकों को अयोग्य घोषित नहीं करते हैं तो फिर बहुमत साबित करने के लिए येदियुरप्पा को विधानसभा में 110 या 111 सदस्यों की जरूरत पड़ेगी। बीजेपी के अभी मात्र 105 विधायक हैं।अगर दो निर्दलीय भी बीजेपी का समर्थन कर देते हैं तो यह संख्या 107 होती है। इस तरह बीजेपी को अपना बहुमत साबित करने के लिए 3 या 4 विधायकों की और जरूरत होगी। जो आसान नहीं होगा।
इसके अलावा अगर बीजेपी बागी विधायकों का समर्थन लेकर सरकार बना भी लेती है तो उसके लिए मंत्रिमंडल तैयार करना काफी मुश्किल चुनौती होगी। अधिकतम 34 विधायकों को कैबिनेट में जगह मिल सकती है। इसके लिए बीजेपी में पहले से ही करीब 60 दावेदार हैं। अगर 10 बागी विधायकों को भी मंत्रिमंडल में शामिल करना पड़ा तो बीजेपी के कई सीनियर नेता नाराज हो सकते हैं। इस तरह बीजेपी के लिए भी कांग्रेस-जेडीएस की तरह कठिन स्थिति पैदा हो सकती है।