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5000 कलाकार, 45 नृत्य शैलियां; पहली बार पूरे कर्तव्य पथ पर कलाकारों ने दिखाया अनोखा प्रदर्शन

नई दिल्ली:  आज दिल्ली में 76वें गणतंत्र दिवस पर दिल्ली के कर्तव्य पथ पर अनोखा नाजारा देखने को मिला। आज के दिन इस अवसर पर 5000 से ज्यादा लोक और आदिवासी कलाकारों ने देश के विभिन्न हिस्सों से 45 अलग-अलग नृत्य शैलियों का प्रदर्शन किया। इस बार, कलाकारों ने पूरे कर्तव्य पथ को कवर किया ताकि सभी मेहमानों को एक जैसा अनुभव मिल सके।

‘जयति जय मम: भारतम्’ की खास प्रस्तुति
“जयति जय ममः भारतम्” नाम से 11 मिनट की सांस्कृतिक प्रस्तुति को संगीत नाटक अकादमी ने तैयार किया। इस प्रस्तुति में बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के मौके पर देश की आदिवासी और लोक शैलियों की रंगीन विरासत को दर्शाया गया। इस कोरियोग्राफ़ी में ‘विकसित भारत’, ‘विरासत भी विकास भी’ और ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ जैसे विषयों को मनाया गया। इसके बोल सुभाष सहगल ने लिखे थे और संगीत शंकर महादेवन ने दिया था।

पारंपरिक वेशभूषा में दिखें 5000 कलाकार
इसमें 5000 कलाकारों ने अपनी पारंपरिक वेशभूषा, आभूषण और पारंपरिक उपकरणों जैसे भाले, तलवार और ढोल के साथ नृत्य किया। प्रदर्शन को और आकर्षक बनाने के लिए राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के विशेषज्ञों ने 60 से ज्यादा उपकरण डिज़ाइन किए, जिनमें वाद्य यंत्र, पुष्प तत्व, मपेट्स और कावड़ी जैसी चीजें शामिल थीं। पहली बार, इस प्रस्तुति ने विजय चौक और सी हेक्सागन से लेकर पूरे कर्तव्य पथ तक प्रदर्शन किया ताकि सभी मेहमान एक जैसा अनुभव पा सकें।

ये लोग हुए शामिल
इस संगीतमय प्रदर्शन में भारत के विभिन्न हिस्सों से युवा, महिला सशक्तिकरण और हमारी कलात्मक विरासत का प्रतिनिधित्व करने वाले लोक और आदिवासी कलाकार शामिल हुए। यह प्रस्तुति भारत की सांस्कृतिक विविधता और धरोहर को दर्शाती है।

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