लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती मामले (69000 Teacher Recruitment Case) में कल 25 मार्च को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई होनी है। अभ्यर्थियों का आरोप है कि शिक्षक भर्ती में बड़े स्तर पर अनियमितताएं (large Scale Irregularities) हुई है और प्रदेश सरकार कोर्ट में अपन पक्ष रखने से बच रही है। आक्रोशित अभ्यर्थियों (Angry Candidates) ने कोर्ट में मजबूत पैरवी की मांग (Demanding Strong Advocacy) को लेकर सोमवार को बेसिक शिक्षा मंत्री (Protested at Basic Education Minister Residence) के आवास पर प्रदर्शन किया।
शिक्षक अभ्यार्थी आज सुबह ही बेसिक शिक्षा मंत्री मंत्री संदीप सिंह के आवास के सामने इकट्ठा हो गए। अभ्यर्थियों ने सरकार के विरोध में जमकर नारेबाजी और प्रदर्शन किया। विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर मंत्री के आवास पर भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया है। अभ्यर्थियों का आरोप है कि 69000 शिक्षक भर्ती में व्यापक स्तर पर अनियमिततायें हुई, जिससे आरक्षित वर्ग के सैकड़ों अभ्यर्थी नियुक्ति पाने से वंचित हो गए।
शिक्षक भर्ती मामले पर अगली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में कल 25 मार्च को होनी है। प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने बताया कि वर्ष 2018 में 69,000 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी। जब इसका परिणाम आया तो इसमें व्यापक स्तर पर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ अन्याय किया गया। आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ संघर्ष किया।
अमरेंद्र पटेल ने बताया कि इस तरह कठिन संघर्ष और न्यायिक प्रक्रिया से गुजरने के बाद 13 अगस्त 2024 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के हित में फैसला सुनाया और नियमों का पालन करते हुए तीन महीने के अंदर अभ्यर्थियों को नियुक्ति दिए जाने का आदेश दिया। इसके बावजूद सरकार हीला हवाली करती रही और मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया। अब सुप्रीम कोर्ट में भी सरकार लापरवाही कर रही है।