लखनऊ। समाज कार्य विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी (National Seminar) का समापन सत्र 23 मार्च को अपराह्न 4:00 बजे राधाकमल मुखर्जी हॉल (Radhakamal Mukherjee Hall) में आयोजित किया गया। सत्र की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन और पुष्पगुच्छ से अतिथियों का स्वागत करने के साथ हुई। संगोष्ठी के समापन सत्र में सम्मानित अतिथियों ने महिला नेतृत्व (Women Leadership) और समाज में महिलाओं की भूमिका (Women Role in Society) पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य अतिथि अतिथि, बेबी रानी मौर्य, मंत्री, महिला कल्याण, बाल विकास और पोषण विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने संबोधन में कहा कि महिला नेतृत्व की दिशा में राज्य सरकार ने कई पहल की हैं, जिनका उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना है। उन्होंने सामाजिक संरचनाओं में बदलाव की आवश्यकता की बात करते हुए महिला सशक्तिकरण के लिए अधिक कार्यक्रमों और नीतियों के निर्माण की आवश्यकता बताई। महिलाओं को जागरूक करने, अवसर प्रदान करने और उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए संगठनों और समाज के बीच सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया।
अतिथि यादव, उपाध्यक्ष, राज्य महिला आयोग, उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने संबोधन में महिला सशक्तिकरण के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने कहा कि महिलाएँ जब सशक्त होती हैं, तो समाज और राष्ट्र दोनों का विकास होता है। प्रो मनुका खन्ना, प्रति-कुलपति ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि शिक्षा ही वह माध्यम है जिससे महिलाएँ अपनी पहचान और क्षमता को पहचान सकती हैं। हमें ऐसी शिक्षा व्यवस्था विकसित करनी होगी जिसमें छात्राओं के नेतृत्व कौशल का उचित विकास हो सके।
प्रो अरविंद मोहन, अध्यक्ष कला संकाय ने कहा कि महिला नेतृत्व और के बिना समाज की प्रगति संभव नहीं है। विश्वविद्यालय द्वारा महिला शिक्षा और सशक्तिकरण के लिए किए गए कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि महिलाओं के अधिकारों और उनकी सुरक्षा को प्राथमिकता देना समाज और राष्ट्र की जिम्मेदारी है। प्रो राकेश द्विवेदी, संयोजक एवं विभागाध्यक्ष, समाज कार्य विभाग ने कहा कि महिला नेतृत्व को समाज के प्रत्येक स्तर पर सशक्त बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। इस संगोष्ठी ने महत्वपूर्ण नीतिगत पहलुओं पर चर्चा की और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया कि महिलाओं के लिए एक समान अवसर उपलब्ध हो।
डॉ अन्विता वर्मा, आयोजन सचिव, समाज कार्य विभाग ने संगोष्ठी की कार्यवाही का सार प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह संगोष्ठी महिलाओं के समग्र विकास के लिए न केवल योजनाओं की समीक्षा कर रही है, बल्कि समाज में उनकी भूमिका को समझने और उसे सशक्त बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। उन्होंने बताया कि इस संगोष्ठी में भारत के 13 से अधिक राज्यों से 550 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिसमें ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से 124 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए गए।
राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन का आरम्भ महिलाओं और बालिकाओं के लिए नेतृत्व और नवाचार के अवसरों को प्राथमिकता’ विषयक प्लेनरी सत्र से हुआ, जिसमें अनेक प्रतिष्ठित विद्वानों प्रो राज कुमार सिंह, प्रो राकेश चंद्र, प्रो शिवानी मिश्रा, प्रो अश्विनी कुमार सिंह, अजय सुमन शुक्ला ने महिलाओं और बालिकाओं के नेतृत्व व नवाचार के अवसरों पर अपने बहुमूल्य विचार साझा किए। वक्ताओं ने समाज में शक्ति की पारंपरिक अवधारणाओं को चुनौती देते हुए आत्म-शक्ति की ओर अग्रसर होने की बात की।
संगोष्ठी का समापन धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ, जिसे डॉ रमेश कुमार त्रिपाठी, सह आयोजन सचिव ने प्रस्तुत किया। राष्ट्रीय गीत के साथ कार्यक्रम का औपचारिक समापन हुआ। यह संगोष्ठी एक प्रेरणा बनी और महिला सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाने के लिए एक एक मील का पत्थर साबित हुई।