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भारतीय आध्यात्मिक परम्परा का प्रसाद

रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
हजारों वर्ष पहले हमारे ऋषियों ने विश्व के संपूर्ण कल्याण की कामना योग साधना का अनुसंधान किया था। अपने को आधुनिक बताने वाले लोग ऑलराउंड वेलनेस, कंपलीट हैप्पीनेस और इन्क्लुसिव हेल्थ केयर के पीछे दौड़ रहे हैं,लेकिन उन्हें कोई समाधान नजर नहीं आ रहा था। उपभोगवादी संस्कृति ने उनके सामने अनेक समस्याएं पैदा कर दी है, इनसे बचने का कोई मार्ग पाश्चात्य संस्कृति में नहीं है। इसका प्रतिकूल प्रभाव मानव शरीर के साथ साथ प्रकृति पर भी पड़ रहा है। योग केवल शरीर को ही स्वस्थ नहीं करता,बल्कि मानवीय चिंतन को संतुलित और सकारात्मक बनाता है। इसमें आचार, विहार सभी परिष्कृत होते है। इसका प्रभाव आस पास के वातवरण पर पड़ता है। प्राचीन भारत के ऋषि मनीषियों द्वारा दुनिया को दी गई यह अमूल्य भेंट आज तनाव मुक्ति,मानसिक शारीरिक व्याधि के निवारण का का मार्ग प्रशस्त कर रही है।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से दुनिया ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को अंगीकृत किया है। वस्तुतः नरेंद्र मोदी एक साथ कई मोर्चों पर काम कर रहे हैं। वह एक तरफ वह भारत को पुनः विश्वगुरु के रूप में प्रतिष्ठित करना चाहते हैं। दूसरी तरफ विकास व आधुनिक तकनीक के बल पर देश को महाशक्ति बनाना चाहते हैं। योग प्राचीन काल से भारत की धरोहर है। एक बार फिर विश्व में इसकी अलख जग रही है। यह छठा अवसर है जब अमेरिका स्थित संयुक्त राष्ट्र संघ मुख्यालय योग दिवस की पूर्व संध्या से ही दीवाली की भांति रोशन किया गया है। विश्व के प्रत्येक देश योग का महत्व समझ रहे हैं। इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है। इसका श्रेय मोदी को है। विश्व योग के लिए भारत की तरफ देखने लगा। निरोग रहना सबकी चाहत होती है। योग इसमें सहायक है। जब विश्व किसी देश को सकारात्मक विषय पर देखता है तो उस देश की जिम्मेदारी बहुत बढ़ जाती है। भारत की जिम्मेदारी भी बढ़ गई है। योग को अपना कर,जीवन में उतार कर हम विश्व को प्रेरणा दे सकते हैं। भारत जब विश्व गुरु था तब यही था। अन्य देश अपनी समस्याओं के समाधन हेतु भारत की तरफ देखते थे।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस ने हमको पुनः यह अवसर दिया है। योग अब विश्वव्यापी अभियान बन रहा हैं। यह राष्ट्रीय सहमति का विषय होना चाहिए था। क्योंकि यह देश के गर्व और प्रतिष्ठता से जुड़ा विषय है। लेकिन कई विपक्ष की पार्टियों का रुख इस पर शर्मनाक रहा है। वह अपनी सीमित सोच से बाहर निकलने को तैयार नहीं हुए। उन्हें भारतीय धरोहर को दुनिया में मिल रही प्रतिष्ठा शायद पसंद नहीं है। भाजपा या नरेंद्र मोदी की आलोचना अपनी जगह है। लेकिन जब योग को दुनिया में स्वीकार किया जा रहा है,तब भारत की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। पार्टी लाइन से ऊपर उठकर लोग इसमें सहभागी बनते तो बेहतर होता। लेकिन इस दिन भी कई नेता केवल तंज है। इक्कीस जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस भाजपा या नरेंद्र मोदी ने नहीं संयुक्त राष्ट्र संघ ने घोषित किया है। जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं उन्हें देश की प्रतिष्ठा का ध्यान नहीं है। कई वर्ष सत्ता में रहे नेता समझा रहे हैं कि योग दिवस की नहीं अन्य समस्याओं के समाधान की जरूरत है। इन्हें कौन बताये की योग किसी कार्य में बाधा उत्पन्न नहीं करता। ऐसे नेता योग दिवस नहीं मनाते थे। लेकिन जब वह सत्ता में थे तब उन्हें समस्या के समाधान से किसने रोका था। योग में यम,नियम,आसन, प्राणायाम,प्रत्याहार, धरना ध्यान,समाधि तक विस्तार है। यह व्यक्तिगत व समाज जीवन का एक साथ कल्याण करता है। फिर भी यह मानना होगा कि योग को लेकर भारत का आम नागरिक अपनी जिम्मेदारी को समझ रहा है। वह विश्व को सन्देश देना चाहता है। सैंकड़ों देशों में योग दिवस समारोह का आयोजन उत्साह पूर्वक किया गया। कुछ लोगों का तंज खुद उन्हें ही हास्यास्पद बना रहा है। योग सामान्य व्यायाम या कसरत नहीं है। यह सम्पूर्ण जीवनशैली को बदल देता है। इससे सकारात्मक विचार बढ़ते हैं।

नकारात्मक विचारों से छुटकारा मिलता है। प्राचीन भारत केवल योग की ही शिक्षा नहीं देता था तब वह आर्थिक महाशक्ति भी था। योग शरीर की बीमारी दूर करता है। शासक जब सकारात्मक व लोककल्याण के योग विचार से प्रेरित होता है। तब वह राज्य की बीमारी दूर करता है। जैसे शरीर बीमार होता है वैसे राज्य भी शासक की लापरवाही भ्रष्टाचार से बीमार होता है। मोदी ने कुछ वर्ष पहले योग दिवस पर लखनऊ में कहा था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश की बीमारी दूर कर रहे हैं। उन्हें विरासत में बीमारू प्रदेश मिला था। विदेश नीति में भी योग का महत्व है। यह विश्व को सकारात्मक चिंतन से प्रेरित करेगा। यह विश्व को जोड़ने का काम करेगा। अभी तो शुरुआत है। भारत ही नहीं विश्व में योग का माहौल बन रहा है। भारत विकास और योग के संयोग की नीति पर चल रहा है। यह नीति भारत को सांस्कृतिक व आर्थिक रूप से मजबूत बनायेगी। योग में भी विश्व व मानवता के कल्याण की कामना है। सबके स्वस्थ रहने की कामना है। इसमें विचारों के संतुलन का भी महत्व है। संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने जिस ऐतिहासिक समर्थन से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को स्वीकार किया था,वह राष्ट्रीय गौरव का विषय था। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस भारत की महान धरोहर के प्रति विश्व की सहमति है। विश्व में योग लगातार लोकप्रिय हो रहा है। लोगों को इसमें अपना हित नजर आ रहा है।

अमेरिका, यूरोप सहित अनेक इस्लामी देशों में भी योग करने वालों की संख्या बढ़ रही है। पूरे विश्व में योग दिवस का माहौल दिखाई देता है। बच्चों से लेकर बड़ों तक में इसे लेकर उत्साह रहता है। यह एक दिन का उत्सव मात्र नहीं है, बल्कि इसे प्रतिदिन दिनचर्या में शामिल करने की प्रेरणा भी मिलती है। भारत ने केवल विश्व कल्याण का उद्घोष ही नहीं किया था , बल्कि उसके अमल की राह भी दिखाई थी। इसी ने भारत को विश्व गुरु के रूप में प्रतिष्ठित किया था। योग में भी मानव कल्याण का विचार समाहित है। यह शरीर के साथ ही मन को संतुलित करता है। नकारात्मक चिंतन शरीर के साथ ही समाज को भी उद्देलित करते है,अराजकता फैलाते है। तब संयुक्त राष्ट्र महासभा में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योग को मानवता के लिए धरोहर बताया था। उनके विचारों पर विश्व समुदाय ने ध्यान दिया था। मोदी का कहना था कि योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है। यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है। मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है। विचार, संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला है तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है। यह व्यायाम के बारे में नहीं है, लेकिन अपने भीतर एकता की भावना, दुनिया और प्रकृति की खोज के विषय में है। हमारी बदलती जीवन शैली में यह चेतना बनकर,हमको जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकता है।

वेदांत के अनुसार आत्मा का परमात्मा से पूर्ण रूप से मिलन होना ही योग कहलाता है। तत्कालीन भारतीय राजदूत अशोक मुखर्जी ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र महासभा में रखा था,जिसे दुनिया के एक सौ पच्छत्तर देशों ने सह प्रस्तावित किया था। संयुक्त राष्ट्र महासभ में किसी भी प्रस्ताव को इतनी बड़ी संख्या में मिला समर्थन अभूतपूर्व था। भारत के प्रताव पर एक रिकॉर्ड बन गया।इससे पहले किसी भी प्रस्ताव को इतने देशों का समर्थन नहीं मिला था। नरेंद्र मोदी ने ठीक कहा कि दुनिया को साथ लाना,सबको साथ लाना,एकजुट करना योग है। योग के द्वारा श्वसन तंत्र और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाया जा सकता है। इधर लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि योग हमारे लिए प्राचीन भारतीय ऋषियों की आध्यात्मिक परंपरा का प्रसाद है। आज नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरा विश्व भारत के साथ आत्मीय संवाद कर रहा है। योग हमारे जीवन से जुड़े भौतिक,मानसिक आत्मिक,आध्यात्मिक आदि सभी पहलुओं पर काम कर जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाता है। योग जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाता है।

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