सावन मास और भगवान शिव की आराधना की महोत्सव की शुरुआत सोमवार यानी 6 जुलाई से हो चुकी है तो वहीं इस सावन मास का अंत भी सावन के सोमवार (3 अगस्त) को हो रहा है। सोमवार भगवान शिव का सबसे प्रिय दिनों में दिन माना जाता है,जबकि भगवान शिव को सावन का महीना सबसे प्रिय होता है। इन महीनों में भोले भंडारी अर्थात शिव जी अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करतें हैं। सावन के महीन के महत्ता बताते हुए राधे मां ने कहा कि शिव पुराण के अनुसार जो भी व्यक्ति इस महीने में व्रक करता है तो भोलेनाथ उसकी इच्छाएं को पूर्ण करते हैं।
राधे मां ने बुधवार को हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि सनातन धर्म में सावन का बहुत बड़ा और आध्यात्मिक महत्व है। मान्यता है कि इस महीने में भगवान शिव की कृपा से विवाह संबंधित सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। वहीं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन का महीना भगवान शिव और विष्णु का आशीर्वाद लेकर आता है। माना जाता है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए पूरे श्रावण मास में कठोर तप करके भगवान शिव को प्रसन्न किया था।
उन्होंने आगे बताया कि शिव ही अकेले ऐसे देव हैं जो साकार और निराकार दोनों हैं। श्रीविग्रह साकार और शिवलिंग निराकार। भगवान शिव रुद्र हैं। हम जिस अखिल ब्रह्मांड की बात करते हैं और एक ही सत्ता का आत्मसात करते हैं, वह कोई और नहीं भगवान शिव अर्थात रुद्र हैं। पहली गर्भवती माँ जगतजननी पार्वती हैं। पहले गर्भस्थ शिशु कार्तिकेय हैं। पहले संबोधन पुत्र गणेश जी हैं। यह लघु परिवार ही सृष्टि का आधार है। वैवाहिक गुणों का मिलान मातृत्व और पितृत्व गुणों का ही संयोग है।
पवित्र सावन मास में भोले भक्त इस प्रकार करें शिव अराधना
1. शिव पुराण पढ़े। संधिकाल अवश्य पढ़ें।
2. भगवान शिव की पूजा में तीन के अंक का विशेष महत्व है। संभव हो तो तीन बार रुद्राष्टक पढ़ ले। अथवा ॐ नमः शिवाय के मंत्र से अंगन्यास करें। एक बार अपने कपाल पर हाथ रखकर मंत्र सस्वर पढ़े। फिर दोनों नेत्रों पर और फिर हृदय पर। यह मंत्र योग शास्त्र के प्राणायाम भ्रामरी की तरह होगा।
3. भगवान शिव को 11 लोटे जल अर्पण करें। प्रयास करें कि यह पूरे सावन मास किया जाए। काले तिल और दूध के साथ।
4. भगवान शिव का व्रत तीन पहर तक ही होता है। इसलिये सात्विक भाव से पूजन करें।
5. यदि बिल्व पत्र नहीं मिले तो एक जनेऊ अथवा तीन या पांच कमलगट्टे अर्पित कर दें।