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सावन कजरी की तान और मुस्काता किसान

मीनाक्षी सुकुमारन, नोएडा

सावन कजरी की तान और मुस्काता किसान
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छम छम रिमझिम रिमझिम
सावन आया लेकर मधुर तान
हर लब पर
कहीं पड़ने लगे झूले
कहीं गूंजने लगे मंगल गीत
कहीं महक मेहंदी की
कहीं खनक कंगन की
छम छम रिमझिम रिमझिम
सावन आया लेकर मधुर तान
हर लब पर
सावन आते ही खिल खिल जाता मन डूब प्यार में सराबोर
इसी में आती राखी और तीज़
एक बहन भाई का त्योहार
एक पति पत्नी का त्योहार
होती महक घेवर और अन्य
पकवानों की
आते ही छम छम रिमझिम फुहार गहरा जाते काले काले
बादल चलती ठंडी ठंडी बयार
नाच उठे मन का मयूर झूम झूम बरसती बूंदो में।।
वहीं सूखी धरती भी लगे मुस्कुराने पा जल का स्पर्श
लहलहा उठें खेत खलिहान मुस्कुरा उठे किसान
देख बरखा से सींचते
अपने खेत खिल खिल
जाता मन उसका
रहेगा न परिवार भूखा
इस तरह सावन छेड़ देता है मीठी तान और मुस्कान हर दिल।।

मीनाक्षी सुकुमारन, नोएडा

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