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चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे से…अब पतरकार रिया को छोड़ कोरोउना महब्याधि कय बारे मा बतावैं!

चतुरी चाचा अपने प्रपंच चबूतरे पर विराजमान थे। चबूतरे के आसपास पड़ी कुर्सियों पर मुंशीजी, कासिम चचा बैठे थे। मैंने सबको राम जोहारि की। फिर प्रपंच चबूतरे के एक कोने पर बैठ गया। सब लोग बड़के दद्दा व ककुवा का इंतजार कर रहे थे। तभी पच्छेहार से बड़को बुआ व नदियारा भउजी आती दिखाई पड़ीं। वह दोनों अपने खेत से बैंगन तोड़ कर अपने घर जा रही थी। वह दोनों चबूतरे के पास आकर ठिठक गईं। चतुरी चाचा बोले-बड़को, हमार चुंगी देव। तब बड़को बुआ ने नदियारा भउजी के सिर पर रखे झौव्वे को उतरवाया। टोकरी से 20-25 बैंगन निकाल कर चबूतरे पर रख दिए।

चतुरी चाचा ने कहा- बड़को, काल्हि संझा का तुमरे टोला मां बड़ी बोल-चाभर होय रही रहय। कौनिव बाति का झगड़ा होत रहय। बड़को बुआ बोली- कुछु कहय वाला नाई हय। चारि दिन पहिले मतऊ अउ ढोड़े केरे लरिकन मा झंझट भा रहय। काल्हि दोपहरिया मा मतऊ क लरिका ढोड़े कय कुतवा मारि डारिस। वही बाति का लैके संझा का खूब झगड़ा भवा। नदियारा भउजी ने अपनी सास की बात पूरी करते हुए बताया- चाचा, पूरा टोला मतऊ केरे लरिका ते उबा हय। मुला मतऊ अपने लरिका कय कौनिव गलती नाय मानत। उलटा ओरहन देय वाले ते लड़त हयँ। मुंशीजी ने कहा- मतऊ खुद के लिए गड्ढा खोद रहे हैं। सब लोग देखना कोई दिन बाप-पूत दोनों जेल जाएंगे। मुंशीजी की बात में हामी भरते हुए बड़को बुआ ने नदियारा भउजी के सिर पर बैंगन का झौव्वा रखवाया। फिर दोनों अपने घर के लिए रवाना हो गईं। इसी दरम्यान चंदू बिटिया गुनगुना नींबू पानी, गिलोय का काढ़ा लेकर आ गयी। हम सब पानी पी रहे थे। तभी ककुवा व बड़के दद्दा की जोड़ी प्रकट हो गयी। आज दोनों जन मोटरसाइकिल से आये थे।

कासिम चचा ने पूछा- बड़के, सवारी कहाँ से आ रही है? बड़के दद्दा कुछ बोलते उससे पहले ककुवा बोल पड़े- हमार धान निकाय परे हयँ। ख्यात मा नमी खूब हय। मुला कयू दिनन ते खाद नाय मिलि रही रहय। आजु पांच बोरी यूरिया मिलिगै। वहकी खुशी मा गरमागरम जलेबी लाए हन। पहिले जलेबी खाव फिरि काढ़ा पीना। चंदू बिटिया तुमरी खातिर जलेबी अलग लाए हन। तुम अपनी जलेबी लेव अउ घरय जाव। खैर, हम लोगों ने जलेबी खाने के बाद गिलोय काढ़ा पीया।

बड़के दद्दा ने बतकही को आगे बढ़ाते हुए कहा- आजकल न्यूज चैनलों में सुशान्त केस दिखाने की होड़ मची है। दिन रात वही रिया चक्रवर्ती और सुशांत सिंह राजपूत की स्टोरी चल रही है। टीवी वालों को पिछले 10-12 दिनों से देश-दुनिया की किसी दूसरी खबर से मतलब नहीं है। कोरोना और बाढ़ की खबरों की भी लकीर पीटी जा रही है। कुछ चैनल रिया के पक्ष में खड़े हो गए हैं। बाकी सारे न्यूज चैनल्स सुशांत को न्याय दिलाने में जुटे हैं।
चतुरी चाचा बोले- सुशांत की मौत कैसे हुई? यह यक्ष प्रश्न बन गया है। इसका जवाब सुशांत के करोड़ों फैन जानना चाहते हैं। मुम्बई पुलिस को लोग शक की नजर से देख रहे हैं। ईडी, सीबीआई व एनबीसी आदि जांच एजेंसियों पर देश भर की निगाहे हैं। एक तरफ जांच एजेंसियां और मीडिया वाले रोज नए-नए खुलासे कर रहे हैं। दूसरी तरफ सुशांत की मौत पर बिहार से लेकर महाराष्ट्र तक खूब राजनीति हो रही है। बहरहाल, मौत का पूरा सच कब आएगा? इसका इंतजार रहेगा।

ककुवा बोले- यूह सब छोड़व। अब पतरकार रिया को छोड़ कोरोउना महब्याधि कय बारे मा बतावैं। हमने कहा- ककुवा, अपने देश में कोरोना का संक्रमण जितनी तेजी से फैल रहा है, उतनी ही तेजी से लोग ठीक भी हो रहे हैं। कोरोना मरीजों की संख्या बड़ी तेजी से बढ़ रही है। वहीं, इससे होने वाली मौत में भी इजाफा हुआ है। अबतक करीब 35 लाख भारतीय कोरोना से पीड़ित हो चुके हैं। इनमें से 62 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। अन्य राज्यों की तरह उत्तर प्रदेश में भी कोरोना का कहर जारी है। लखनऊ में कोरोना का सर्वाधिक प्रकोप है।

कासिम चचा ने कहा- कोरोना का संक्रमण जरूर बढ़ा है, किंतु अब जनता के मन से कोरोना का भय खत्म हो गया है। लोग कोरोना के साथ जीना सीख गए हैं। धीरे-धीरे जनजीवन सामान्य होता जा रहा है। बीएड सहित अन्य कई परीक्षाएं सम्पन्न हो चुकी हैं। अब देश में नीट और जेईई की परीक्षा भी होने जा रही है। बस, स्कूल-कॉलेज नहीं खुल पा रहे हैं। मुंशीजी बोले- चिंता न करो। कोरोना खत्म होगा।जल्दी ही सब कुछ खुलेगा। सब लोग कोविड-19 के नियमों का पालन करते रहो। साथ ही, सभी लोग अपने खानपान, रहन-सहन और दिनचर्या ठीक रखो। अगर शरीर की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रहेगी, तो कोरोना वायरस कुछ नहीं बिगाड़ पायेगा।

बड़के दद्दा ने बताया कि लखनऊ में कल एक रेलवे अधिकारी की नाबालिग बेटी ने अपने भाई और माँ की गोली मारकर हत्या कर दी। उसने अपनी भी नस काट ली थी। लड़की डिप्रेशन की शिकार बताई जा रही है। इसी के साथ आज की पंचायत समाप्त हो गयी। मैं अगले रविवार को एक बार फिर चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे पर होने वाली बतकही लेकर हाजिर रहूँगा। तबतक के लिए पँचव राम-राम!

नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान

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