अंततः विपक्ष का विरोध बेअसर रहा। संसद के दोनों सदनों से कृषि संबन्धी दो विधेयक पारित हो गए। वैसे संसद के साथ ही विपक्ष ने सड़क पर भी विरोध प्रदर्शन किया। लेकिन इसमें किसानों की चिंता कम राजनीति ज्यादा उजागर हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन विधेयकों के माध्यम से बड़ा मंसूबा बनाया है। यथास्थिति से किसानों के जीवन में ज्यादा सुधार संभव नहीं थे। इसलिए बड़े बदलाव की आवश्यकता थी। सरकार ने इस पर आगे बढ़ने का साहस दिखाया। मोदी ने कहा कि भारत के कृषि इतिहास में आज एक बड़ा दिन है। संसद में महत्वपूर्ण विधेयकों के पारित होने पर उन्होंने किसानों को बधाई दी। कहा कि यह न केवल कृषि क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन लाएगा,बल्कि इससे करोड़ों किसान सशक्त होंगे। दशकों तक हमारे किसान कई प्रकार के बंधनों में जकड़े हुए थे। उन्हें बिचौलियों का सामना करना पड़ता था। अब इन सबसे आजादी मिली है। इससे किसानों की आय दोगुनी करने के प्रयासों को बल मिलेगा।
इधर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इन विधेयकों के पारित होने पर केंद्र सरकार के साथ साथ किसानों को भी बधाई दी है। कहा कि केन्द्र और राज्य सरकार किसानों की उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य हेतु कटिबद्ध है। उत्तर प्रदेश के किसान भी इससे लाभान्वित होंगे। केंद्र व प्रदेश की वर्तमान सरकार किसानों की आय दो गुनी करने के प्रति कटिबद्ध है। केन्द्र सरकार द्वारा किये गये सुधारों का व्यापक तथा सकारात्मक लाभ मिलेगा। किसानों को अपनी उपज को मण्डी परिसरों में विक्रय करने में बाध्यता को पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है। अब वह प्रदेश के अधिसूचित मण्डी के अतिरिक्त किसी और स्थान जैसे भण्डार गृह, कोल्ड स्टोरेज या खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों में अपनी उपज विक्रय कर सकेंगे। फार्म गेट पर ही व्यापारियों निर्यातकों या खाद्य प्रसस्करण इकाइयों को उचित दाम लेकर विक्रय कर सकेंगे। इससे किसानों का यातायात एवं ढुलान पर व्यय बचेगा और हानि को बचाया जा सकेगा।
काॅन्ट्रैक्ट फार्मिंग को बढ़ावा मिलने से खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां निर्यातक तथा अन्य व्यापारी,कृषकों से व्यक्तिगत स्तर पर या संगठित तरीके से समझौता कर सकेंगे। इससेे कृषकों को खाद, बीज व अन्य इनपुट्स को कम दरों पर उपलब्ध कराने, आधुनिक तकनीकी का प्रयोग कर कृषि कार्य कराने एवं उनकी उपज को बेहतर बाजार उपलब्ध कराने में सुविधा होगी। कृषकों को राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय बाजार की मांग के अनुसार कृषि कार्य करने के अवसर भी प्राप्त होंगे। प्रदेश में बाहर से आने वाले कृषि उत्पाद पर मण्डी शुल्क समाप्त होने पर जहां एक ओर उपभोक्ताओं का भी लाभ मिलेगा। वहीं खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को भी निर्बाध रूप से कच्चा माल प्राप्त हो सकेगा। इससे ईज आफ डूईंग बिजनेस को बढ़ावा मिलेगा। योगी ने कहा कि कोविड महामारी के दृष्टिगत लागू लाॅकडाउन के दौरान ही राज्य सरकार द्वारा फल व सब्जी में पैतालीस जिंसों को मण्डी शुल्क से मुक्त कर दिया गया था। जिसका किसानों को सीधा लाभ मिला।
कृषक अब अपने फल या सब्जी की राज्य में कहीं से भी बिक्री करने के लिए स्वतंत्र हैं। किसानों को मण्डियों में भी अपनी उपज का विक्रय करने का विकल्प उपलब्ध है। जहां मण्डी शुल्क के स्थान पर नाम मात्र का यूजर चार्ज क्रय करने वाले व्यापारियों से लिया जा रहा है। राज्य सरकार के निर्देशानुसार प्रदेश की सभी एक सौ उन्नीस गन्ना मिलों को पूरी क्षमता से संचालित कर प्रदेश में उत्पादित एक हजार लाख टन से अधिक गन्ने की पेराई की गई। एक सौ छब्बीस लाख मी.टन चीनी का उत्पादन किया गया। एक सौ पचास लाख लीटर सेनेटाइजर का भी उत्पादन किया गया।
मण्डी परिषद तथा स्टेट वेयर हाउसिंग कारपोरेशन द्वारा संयुक्त रूप से सैंतीस मण्डी परिसरों में पांच पांच हजार मीट्रिक टन के गोदामों का निर्माण कराया जा रहा है। इन गोदामों में कृषक अपनी उपज तीस दिनों तक बिना किसी शुल्क के रख सकेेंगे।इसके पश्चात् सामान्य दरों पर तीस प्रतिशत छूट पर किराया अनुमन्य होगा। इस सुविधा से किसान अपनी उपज को सुरक्षित रखते हुए ऐसे समय बिक्री कर सकेंगे, जब उन्हें अपनी उपज का बाजार में अच्छा दाम मिले। किसानों द्वारा भण्डारित कृषि उपज को प्रतिभूति की भांति मान्यता प्राप्त होगी। इसके आधार पर कृषकों को बैंक से ऋण सुविधा प्राप्त हो सकेगी। इससे यह अपने कृषि एवं अन्य कार्यों की प्रतिपूर्ति कर सकेंगे।राज्य सरकार ने जनपद वाराणसी व अमरोहा में मैंगो हाउस स्थापित करने का निर्णय लिया है। जिससे आम उत्पादक किसानों को लाभ होगा। देश व विदेशी बाजार में विक्रय का बेहतर अवसर प्राप्त हो सके।
पिछले दिनों सरकार द्वारा विगत विधानमण्डल में कृषि मण्डी अधिनियम में संशोधन पारित कराया गया था। इसमें किसान उपभोक्ता बाजार तथा वेयर हाउस कोल्ड स्टोरेज साइलोस को मण्डी उप स्थलों के रूप में प्रोत्साहित करने के प्राविधान किये गए हैं।इन प्राविधानों से किसानों को अपनी उपज की सीधी बिक्री हेतु और विकल्प उपलब्ध होंगे। सत्ताईस प्रमुख मण्डियों को वर्तमान में आधुनिक किसान मण्डी के रूप में विकसित किया जा रहा है। चौबीस मण्डियों में फल और सब्जी आदि को सुरक्षित व गुणवत्तापूर्वक रखने हेतु कोल्ड स्टोरेज व राइपनिंग चैम्बर की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। ताकि कृषक अपनी उपज का सही मूल्य मिलने के लिए कुछ दिन की प्रतीक्षा भी कर सकेंगे।
राइपनिंग चैम्बर द्वारा उपज को उचित प्रकार व गुणवत्तायुक्त ढंग से पका सकें। इस परियोजना के अन्तर्गत मण्डी में बीस एमटी कैपेसिटी के राइपनिंग चैम्बर तथा दस एमटी क्षमता का कोल्ड चैम्बर स्थापित किया जायेगा। केन्द्र सरकार की नीतियों और सुदृढ़ करने के लिए राज्य सरकार कृषक उत्पादक संगठनों को प्रोत्साहित करने के लिए एक व्यापक नीति शीघ्र लेकर आ रही है। उत्तर प्रदेश में कोविड के दौरान भी किसानों का करीब छत्तीस लाख टन गेहूं क्रय किया गया। साथ ही दलहन व तिलहन फसलों की भी खरीद की गई। यह सुनिश्चित किया गया कि बाजार मूल्य,न्यूनतम समर्थन मूल्य या उससे अधिक रहे। किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए धान,तिलहन व दलहन को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर क्रय करने की पूरी तैयारी की जा रही है।