महाभारत की कहानी देखी, पढ़ी या सुनी तो जरूर होगी। इस महाकाव्य के एक एक पात्र अपने आप में खास गुणों से सुसज्जित है। खासकर महाभारत के पांडव पुत्रों की । महाभारत और उससे जुड़े प्रमुख पात्रों में युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव, ये पांचों भाई शक्तिशाली थे। उनका मुकाबला करना मौत को दावत देना था।
अकेले भीम में हजारों हाथियों का बल
ऐसा कहा जाता है कि भीम के अंदर 10 हजार हाथियों का बल था। क्या सोचा है कि एक साधारण मनुष्य की तरह दिखने वाले भीम के अंदर इतनी शक्ति कैसे आई।जानते हैं भीम से जुड़ें रहस्य के बारे में… कथा के अनुसार भीम बचपन से ही काफी शक्तिशाली थे। वह दौड़ने में, निशाना लगाने या कुश्ती लड़ने, सभी खेलों में धृतराष्ट्र के पुत्रों यानी कौरवों को हरा देते थे। हालांकि, उनके अंदर कौरवों के प्रति कोई द्वेष नहीं था। लेकिन दुर्योधन के मन में भीम के प्रति जलन शुरू से ही थी। ऐसे में दुर्योधन ने उचित अवसर मिलते ही भीम को मारने का विचार किया।
भीम विषभरा खाना
एक बार दुर्योधन ने छल से भीम को खेलने के लिए गंगा तट पर बुलवाया और शिविर लगवाया और उस स्थान का नाम रखा उदकक्रीडन। वहां खाने-पीने से लेकर खेलने-कूदने तक सभी व्यवस्था की गई थी। दुर्योधन ने पांचों पांडवों को भी वहां खेलने के लिए बुलाया और एक दिन भीम के खाने में जहर मिला दिया। जब भीम ये विषभरा खाना खाकर बेहोश हो गए, तो दुर्योधन ने उन्हें गंगा में फेंक दिया।
भीम बेहोश पानी के रास्ते नागलोक पहुंच गए। वहां सांपों ने उन्हें खूब डंसा, जिसके प्रभाव से उनके शरीर से विष का असर कम हो गया। इसके बाद जब भीम को होश आया, तो वो आसपास भयंकर सांपों को देखकर उन्हें मारने लगे। भीम से डरकर सभी सांप नागराज वासुकि के पास गए और उन्हें पूरी बात बताई।
बचपन से ही काफी शक्तिशाली
इस बात को जान नागराज वासुकि आर्यक नाग के साथ खुद भीम के पास गए। वहां जाते ही आर्यक नाग ने भीम को पहचान लिया। आर्यक नाग भीम के नाना थे। इसके बाद वो भीम को अपने साथ नागलोक ले गए। वहां उन्होंने नागराज वासुकि से भीम को उन कुण्डों का रस पिलाने की आज्ञा मांगी, जिसमें हजारों हाथियों का बल था।
बाद में नागराज वासुकि ने इसकी आज्ञा दे दी और तब भीम 8 कुण्डों का रस पीकर एक दिव्य शय्या पर सो गए। नागलोक में भीम 8 दिनों तक सोने के बाद जब वो जागे तो उनमें 10 हजार हाथियों की शक्ति आ गई थी। इसके बाद वो हस्तिनापुर पहुंचे। उन्होंने माता कुंती और अपने भाइयों को दुर्योधन द्वारा विष देकर गंगा में फेंकने और नागलोक में जो कुछ भी हुआ, सारी बातें बताई। तब युधिष्ठिर ने भीम से कहा कि वो यह बात किसी को भी न बताएं।