वॉशिंगटन। आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान की कार्रवाई पर White House व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नाखुशी जाहिर करते हुए असंतोष जताया। व्हाइट हाउस ने यह जानकारी शेयर करते हुए कहा कि पहली बार अमेरिका पाकिस्तान को उसके कृत्यों के लिए जिम्मेदार ठहरा रहा है। व्हाइट हाउस में उप प्रेस सचिव राज शाह ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘मैं जानता हूं कि हमने पाकिस्तान के साथ अपने रिश्तों को लेकर कुछ स्पष्टता बहाल की है। पहली बार पाकिस्तान को उसके कृत्यों के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।’ उन्होंने आगे कहा कि ‘हमने इन चिंताओं को लेकर पाकिस्तान की वास्तविक स्वीकृति के संबंध में मामूली प्रगति देखी है। लेकिन जब बात पाकिस्तान को लेकर आती है तो राष्ट्रपति प्रगति से संतुष्ट नहीं है।
- इस दौरान वह राष्ट्रपति ट्रंप की दक्षिण एशिया नीति पर हुई प्रगति के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे।
- जिस नीति का ऐलान पिछले साल अगस्त में किया गया था।
White House का अफगानिस्तान में isis को खत्म करने का प्रयास जारी
राज शाह ने कहा कि अमेरिका अपने साझेदार अफगानिस्तान के साथ करीब से काम कर रहा है। हमने isis के खिलाफ अहम बढ़त बनाई है। उनकी मौजूदगी वाले इलाके को कम किया है और उनके सैकड़ों लड़ाकों को मार गिराया है।
- इसके साथ उनके शीर्ष आकाओं को भी मार गिराया गया है।
- इसी कदम के साथ ऐसे नेतृत्व को खत्म करने का प्रयास जारी है।
पेंटागन ने कहा दक्षिण एशिया नीति पाकिस्तान को देती है मौका
पेंटागन ने अपने एक अन्य संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दक्षिण एशिया नीति पाकिस्तान को एक मौका देती है। पेंटागन की मुख्य प्रेस प्रवक्ता डाना व्हाइट ने कहा कि रक्षा मंत्री का मानना है कि पाकिस्तान के पास क्षेत्रीय सुरक्षा के संबंध में और बहुत कुछ करने का मौका है।
- ऐसा करना उसके हित में भी है।
पाकिस्तान को सऊदी अरब, चीन और तुर्की का साथ
पाकिस्तान के तीन निकट सहयोगी देशों चीन, सऊदी अरब और तुर्की ने उसे अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के वित्तपोषण की निगरानी सूची में डालने के अमेरिका के प्रयास को रोकने के लिए हाथ मिलाया है। जो कि पाकिस्तान के हित नहीं है। अमेरिकी मीडिया के अनुसार पाकिस्तान इसे अपनी एक जीत समझ रहा है।
- वहीं डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन पेरिस में मौजूदा वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की बैठक में पर्दे के पीछे से काम कर रहा है।
- जल्द ही वह उस देश के खिलाफ कार्रवाई करेगा।
- जिसके बारे में उसका मानना है कि उसने आतंकवाद का वित्तपोषण रोकने तथा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को लागू करने के लिए उचित कदम नहीं उठाया है।