गांवों में कोरोना की महामारी और कृषि कानूनों से नाराजगी…। ये अटकलें आखिरकार भारतीय जनता पार्टी के विजय-रथ का रोड़ा नहीं बन सकीं। क्षेत्रीय व व्यक्तिगत प्रभाव के किले ढहते गए और उत्तर प्रदेश की जिला पंचायतों पर भाजपा ने परचम लहरा दिया। जिला पंचायत अध्यक्ष की 75 में 67 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी की जीत मिशन-2022 के लिए सत्ताधारी दल की रीति-नीति और रणनीति पर भरोसे की मुहर लगाने वाली है।
राकेश टिकैत के गृह जनपद मुजफ्फरनगर में बीजेपी की जीत को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, “बीजेपी जीती है इसमें कोई शक नहीं है, लेकिन कैसे जीती है यह भी देखा गया. हम यह जानना चाहते हैं कि किस स्कूल में पढ़ी हुई गणित से यह जोड़-तोड़ किया गया है कि सीटें कम और ज्यादा हासिल की गई.
उनसे पूछा गया कि 2022 में बीजेपी का रास्ता रोकने के लिए राकेश टिकैत किस तरह की रणनीति अपनाएंगे तो उन्होंने कहा अभी वक्त है हम आगे तय कर लेंगे. साथ ही उन्होंने ये सवाल किया कि क्या 2022 तक सरकार कृषि कानून वापस नहीं लेगी.
वहीं, गांवों में मजबूत कही जा रही सपा के लिए महज पांच सीटों पर सिमट जाना बड़ा झटका है। इसी तरह कांग्रेस रायबरेली में एकमात्र प्रत्याशी को भी नहीं जिता सकी। उधर, जाट लैंड बागपत में एक जीत ने राष्ट्रीय लोकदल के चौधरी का मान जरूर रख लिया।