यह कम लोगों को ही पता होगा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पहले देश के छठे प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई ने भी नोटबंदी का फैसला लिया था। 29 फरवरी 1896 को जन्में मोरार जी देसाई ने सिर्फ नोट बंदी ही नहीं अपने जीवन काल में कई और भी बड़े फैसले लिए।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई का जन्म गुजरात के बुलसर जिले के भदेली गांव में हुआ था। शुरुआती शिक्षा सौराष्ट्र के ‘द कुंडला स्कूल’ से ली। इसके बाद मुंबई के विल्सन कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई करने के बार वह गुजरात सिविल सेवा में चले गए। गोधरा के डिप्टी कलेक्टर बने मोरार जी देसाई पर 1927-28 के दौरान गोधरा में हुए दंगों में पक्षपात करने का अरोप भी लगा। जिसके बाद इन्होंने 1930 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया,और इसके बाद वह स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के उसमें शामिल हो गए,इस दौरान यह कई बार वह जेल भी गए।
1931 में वह गुजरात प्रदेश की कांग्रेस कमेटी के सचिव बने, जिसके बाद वह पूरी तरह से राजनीति में शामिल हो गए। कांग्रेस में नेहरु परिवार की सक्रियता की वजह से इन्हें प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी कभी नहीं मिल पाई। इसके बाद उन्होंने जनता पार्टी की तरफ रुख कर लिया। वर्ष 1977 में मोरार जी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी और वह देश के छठे प्रधानमंत्री बने। अपने कार्यकाल में उन्होंने 1978 में 100 से ऊपर को नोटों पर बैन लगाकर सबको स्तब्ध कर दिया था। इसके बाद कुछ पार्टियों के समर्थन वापस लेने से मात्र दो साल की अल्प अवधि में इन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। 83 साल की उम्र में मोरार जी देसाई ने फाइनली राजनीति से संन्यास ले लिया।मोरार जी देसाई को ‘भारत रत्न’ के अलावा ‘निशान-ए-पाकिस्तान’ से भी सम्मानित किया गया था। 99 वर्ष की आयु में 10 अप्रैल 1995 को मोरार जी का निधन हो गया।