नई दिल्ली। उत्तर रेलवे ने 4 अप्रैल को यूएसबीआरएल परियोजना के निर्माणाधीन कटरा-बनिहाल सैक्शन पर सवालकोट और संगलदन स्टेशनों के बीच टनल टी-14 (मुख्य सुरंग) का ब्रेक-थ्रू करके यूएसबीआरएल परियोजना में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की। सुरंग टी-14 के ब्रेक-थ्रू के दौरान सुरंग की लाइन और लेवल को सटीक तरह से हासिल किया गया। इरकाॅन में इंजीनियर के पद पर कार्यरत कश्मीर के अवंतीपुरा की महिला कर्मचारी इंदु पाॅल कौर ने सुरंग के ब्रेक-थ्रू को अंजाम दिया।
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टी-14 की कुल लंबाई 6.284 किमी है और इसके दोनों छोर क्रमशः रियासी और रामबन जिलों में स्थित हैं। सुरंग पोर्टल रियासी और रामबन जिलों के सूदूरवर्ती गांवों में स्थित हैं, जहां सुरंग निर्माण कार्य शुरू होने से पहले कोई सड़क संपर्क नहीं था। सुरंग टी-14 का दक्षिण पोर्टल (पी-1) लगभग 1070 मी. की ऊंचाई पर जिला मुख्यालय रियासी (जम्मू-कश्मीर) से 100 किमी की दूरी पर अर्नास तहसील के सवालकोट गांव में स्थित है, जबकि सुरंग का उत्तरी पोर्टल (पी-2) लगभग 1150 मी. की ऊंचाई पर जिला रामबन की तहसील गूल के इंड गांव में स्थित है।
उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक शोभन चौधुरी ने बताया कि
टी-14 टनल में दो ट्यूब अर्थात मुख्य टनल और दूसरी एस्केप टनल है। सुरंग के निर्माण में एनएटीएम (यानी न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड) पद्धति का इस्तेमाल किया गया है, जो एक अवलोकन और अनुक्रमिक निर्माण पद्धति है। एनएटीएम पद्धति अलग-अलग भूविज्ञान वाली जमीन/स्तरों में सुरंग बनाने के लिए उपयुक्त है। सुरंग का क्राॅस सैक्शन संशोधित घोड़े की नाल के आकार का है।
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इस लंबी सुरंग के निर्माण को सुविधाजनक बनाने के लिए 978 मी लंबा प्रवेश मार्ग भी बनाया गया है। सुरंग के भीतर का रूलिंग ग्रेडियेंट 80 में 1 है और 100 किमी प्रति घंटे की डिजाइन गति है। अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार, मुख्य सुरंग के समानांतर एस्केप टनल का निर्माण किया जा रहा है, जो बचाव, राहत और बहाली कार्यों को सुसाध्य बनाने के लिए 375 मीटर के अंतराल पर क्रॉस गलियारों से जुड़ी हुई है। उत्तर रेलवे द्वारा निर्माण का कार्य दक्षिण पोर्टल (पी-1) से मैसर्स कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड को और उत्तर पोर्टल (पी-2) से मैसर्स इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड को सौंपा गया था। यह सुरंग जटिल भूगर्भीय परिस्थितियों से होकर गुजरती है, जो दक्षिण छोर पर मुरी फाॅर्मेशन और उत्तरी छोर पर डोलोमाइट का निर्माण करती है, सुबाथू फाॅर्मेशन द्वारा अलग होती है।
सुरंग निर्माण के दौरान कतरनी क्षेत्र, ज्वलनशील गैसों (मीथेन) का निकलना, जलभृत, और अत्यधिक संयुक्त चट्टानों और पानी के अधिक मात्रा में प्रवेश करने जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उत्तर रेलवे, केआरसीएल और इरकॉन के अनुभवी इंजीनियरों की टीम ने निष्पादनकारी एजेंसियों के साथ मिलकर इन सभी चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया और इस महत्वपूर्ण ब्रेक-थ्रू को हासिल किया।
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बताते चलें कि सुरंग की निर्माण गतिविधियों के दौरान लगभग 65 प्रतिशत श्रमिक स्थानीय थे, जिससे स्थानीय रोजगार को बढ़ावा मिला। सुरंग पोर्टल स्थानों तक पहुंचने के लिए पहुंच मार्गों का निर्माण किया गया, जिससे क्षेत्र के गांवों को जोड़ा गया, जिसने समग्र सामाजिक आर्थिक परिदृश्य को बदल दिया। यूएसबीआरएल के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी एसपी माही व उत्तर रेलवे, केआरसीएल, इरकॉन और निष्पादनकारी एजेंसियों के अधिकारियों की उपस्थिति में ब्रेक-थ्रू हासिल किया गया।
उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) परियोजना के कुल 272 किमी में से 161 किमी का कार्य पहले ही पूरा कर लिया गया है और रेल परिचालन भी शुरू हो चुका है। कटरा-बनिहाल सैक्शन के बीच शेष 111 किमी के स्ट्रेच का कार्य प्रगति पर है और यह निचले हिमालय के पहाड़ी इलाकों से होकर गुजरता है, जिसमें भूविज्ञान एक बड़ी चुनौती है। इसमें कई बड़े पुल और बहुत लंबी सुरंगें हैं और यहां कार्य तीव्र गति से चल रहा है। घाटी को शेष भारत से जोड़ने के सपने को साकार करने की दिशा में इस सुरंग के ब्रेक-थ्रू को इस राष्ट्रीय परियोजना की एक और बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है।
रिपोर्ट-दया शंकर चौधरी