इंटरनेट जो पहले हमारे लिए वरदान साबित हो रहा था, वह साइबर क्राइम जैसे अपराधों के कारण अब हमारे लिए मुसीबत बनता जा रहा है. आज के समय में हर व्यक्ति इंटरनेट का उपयोग करता है. कोरोना के बाद से ज्यादातर कार्य ऑनलाइन यानी इंटरनेट की सहायता से हो रहे हैं. जैसे कि खरीदारी से लेकर ऑनलाइन स्टडी तथा पैसों की लेनदेन आदि हर एक कार्य आजकल इंटरनेट के सहारे हो रहे हैं. हमें जब भी समय मिलता है तो हम सोशल मीडिया की साइट पर जाकर मनोरंजन प्राप्त करते हैं. दूसरे शब्दों में कहा जाए तो अब हम हर काम में इंटरनेट का सहारा लेते हैं. लेकिन इस बढ़ते अंतरजाल ने अपराध को भी जन्म दे दिया है. यह अलग बात है कि यह आम अपराध से बिल्कुल अलग है, लेकिन इसका नुकसान बहुत बड़ा है. इंटरनेट के उपयोग से कई लोग इसे चोरी का साधन बना रहे हैं. चोरी के इसी साधन को साइबर क्राइम (cyber crime) कहा जाता है. इस अपराध में डाटा हैक करना, ब्लैकमेल करना, पैसे लूटना आदि शामिल हो चुके हैं.
आधुनिक समय में साइबर क्राइम (cyber crime) एक बड़े अपराध का रूप ले चुका है. अगर बात की जाए आंकड़ों कि तो 2019 में 394409 साइबर अपराध के मामले दर्ज हुए थे. वहीं 2020 में 1,158,208 मामले दर्ज हुए थे. 2021 में यह संख्या बढ़कर 1,402,809 हो गई थी. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार वर्ष 2022 में साइबर क्राइम के मामलों में 15.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. कोरोना महामारी के दौरान जब सबकुछ थम गया था और लोग घर बैठ कर ऑनलाइन काम कर रहे थे, ऐसे समय में साइबर अपराधी भी अपने कामों को तेज़ी से अंजाम दे रहे थे. इस अपराध का सबसे अधिक शिकार भोले भाले ग्रामीण हो रहे थे, जो जागरूकता के अभाव में इनकी जाल में फंस रहे थे. साइबर अपराधी सबसे अधिक बैंक के लेनदेन के मामलों में लोगों को अपना शिकार बनाते हैं. वह बैंक अधिकारी बन कर ग्रामीणों से उनके बैंक खातों की जानकारी हासिल कर उन्हें लूट रहे हैं.
पीरियड लीव पर महिलाएं नहीं हैं एकमत
बात की जाए जम्मू कश्मीर की, तो साइबर फ्रॉड के अंतर्गत ठगे जाने वाले जम्मू के हरजीत (बदला हुआ नाम) का कहना है कि बिना ‘ओटीपी’ दिए हैकर ने मेरे अकाउंट से 194000 रुपए लूट लिए. हरजीत का कहना है कि ‘एक दिन मुझे दोपहर को मुझे एक मैसेज आया जिसमें कहा गया कि कल से आपकी सिम बंद हो जाएगी, चूंकि हरजीत एक बिजनेसमैन हैं और बिजनेस के काम में उन्हें फोन की सख्त जरूरत रहती है. इसीलिए वह उस मैसेज के प्रति गंभीर हो गए. मैसेज के नीचे संपर्क के लिए एक फोन नंबर दिया था. हरजीत सिंह का कहना था कि मैंने उस नंबर पर कॉल की तो मुझे यह बताया गया कि आप एक ऐप डाउनलोड करो जिसका लिंक हम आपको व्हाट्सएप पर भेज रहे हैं. जैसे ही मैंने वह लिंक डाउनलोड किया मेरा अकाउंट खाली हो गया. इसी प्रकार बारामुला के रहने वाले गुलाब नबी बट भी साइबर फ्रॉड का आसानी से शिकार होकर अपना लाखों गवां चुके हैं.
कुछ माह पूर्व जम्मू के एक जाने-माने स्थानीय न्यूज़ चैनल ने अपनी एक रिपोर्ट में चौंका देने वाला खुलासा किया था. चैनल के रिपोर्टर के अनुसार जम्मू कश्मीर के कठुआ जिले के रहने वाले एक व्यक्ति का साइबर क्राइम की धोखाधड़ी से पचासी लाख रुपये एक महिला हैकर ने अपने अकाउंट में ट्रांसफर करवा लिया. दरअसल उस व्यक्ति को कुछ दिन पहले एक ईमेल आती है, जिसमें एक महिला द्वारा यह लिखा गया था कि मैं जम्मू कश्मीर में एक हॉस्पिटल बनाना चाहती हूं, जिससे मैं बेसहारा गरीब लोगों की मदद करना चाहती हूँ. महिला ने अपना नाम बर्बरा बताया और कहा कि मेरे पास लगभग तीन लाख डॉलर हैं. जिसका उपयोग में जम्मू कश्मीर में हॉस्पिटल बनाने में करना चाहती हूँ.
नया अवतार लेता खालिस्तान का विचार
धीरे-धीरे कठुआ में रहने वाले व्यक्ति और उस महिला की आपस में दोस्ती हो जाती है. कुछ दिन बाद महिला यह कहती है कि मैं जम्मू एयरपोर्ट पहुंच चुकी हूं और मेरे पास तीन लाख डॉलर हैं. लेकिन मुझे कस्टम डिपार्टमेंट वालों ने मुझे यह कह कर रोक लिया है कि पहले मुझे उस डॉलर का टैक्स अदा करनी होगी जो करीब साढ़े आठ लाख रुपए बनते हैं. वह व्यक्ति उस महिला की बातों में आकर उसके अकाउंट में साढ़े आठ लाख रुपए भेज देता है. जैसे ही महिला हैकर के अकाउंट में पैसे पहुंचते हैं उसके बाद उसका फोन स्विच ऑफ़ हो जाता है.
जम्मू कश्मीर साइबर क्राइम इन्वेस्टिगेशन के एसएसपी संदीप चौधरी (आईपीएस) इस संबंध में वीडियो जारी कर लगातार लोगों को जागरूक कर रहे हैं. उनके अनुसार साइबर अपराधी एक ओर जहां भोले भाले ग्रामीणों को बैंक अफसर बनकर लूट रहे हैं तो वहीं सेक्स वीडियो का जाल बिछा कर युवाओं को आसानी से इसका शिकार बनाया जा रहा है. उनके अनुसार यदि किसी के साथ इस प्रकार की कोई घटना होती है तो उसे फ़ौरन साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल कर अपनी शिकायत दर्ज करवानी चाहिए. संदीप चौधरी कहते हैं कि कोई भी इस फ्रॉड को छुपाए नहीं, क्योंकि जिसके साथ भी ऐसी घटना होती है वह विक्टिम है, न कि अपराधी. इस तरह इस साइबर फ्रॉड को रोकने के लिए हर व्यक्ति को जहां स्वयं जागरूक होने की आवश्यकता है वहीं उसे दूसरों को भी जागरूक करने की ज़रूरत है. व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, फेसबुक जैसे तमाम सोशल मीडिया नेटवर्क पर सतर्क रहने की जरूरत है.
वास्तव में, साइबर अपराध के एक नहीं, हजारों केस दिन प्रतिदिन दर्ज हो रहे हैं. कई लोग साइबर फ्रॉड के अन्य माध्यमों का भी शिकार हो रहे हैं. इस अपराध की रोकथाम की दिशा में सबसे बड़ा कदम जागरूकता है. ऐसा व्यक्ति जो कंप्यूटर और आधुनिक तकनीक से लैस मोबाइल के उपयोग में सहज नहीं है, वह आसानी से साइबर क्राइम का शिकार हो सकता है.
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ऐसे लोग नहीं जानते हैं कि तकनीक और कंप्यूटर की मदद से कितना और किस हद तक संसाधनों का इस्तेमाल कर खुद को इसका शिकार होने से बचाया जा सकता है. अगर हम समय-समय पर अपने आस-पड़ोस के लोगों को जो इससे परिचित नहीं हैं, उन्हें इस धोखाधड़ी से अवगत कराते रहें तो बहुत हद तक इस अपराध पर रोकथाम संभव है. दरअसल, अपराधियों के इस अंतरजाल को काटने के लिए जागरूकता का जाल फैलाने की ज़रूरत है. (चरखा फीचर)