पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेश और फिर केंद्र सरकार के अध्यादेश के बाद दिल्ली सरकार और अफसरों में नई जंग की शुरुआत हो गई है। सबसे अधिक रार विजिलेंस के स्पेशल सेक्रेट्री वाईवीवीजे राजशेखर को लेकर है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जहां केजरीवाल सरकार ने उन्हें कामकाज से रोक दिया था तो वहीं अध्यादेश के बाद उन्हें एलजी के आदेश पर कुर्सी वापस मिल गई है। दिल्ली सरकार ने राजशेखकर को दोबारा काम सौंपे जाने को अवैध करार दिया है, लेकिन इसके बावजूद बुधवार को उन्होंने अपनाम काम संभाल लिया। राज्य सचिवालय में बैठकें कीं और फाइलों की जांच का आदेश दिया है।
13 मई से ही राजशेखर विवादों में घिरे हुए हैं। उस दिन सेवा विभाग संभालने वाले मंत्री सौरभ भारद्वाज ने भ्रष्टाचार और वसूली का आरोप लगाकर सारा कामकाज छीन लिया था। अधिकारी ने दावों को खारिज किया और कहा कि उनसे काम वापस लिए जाने के कुछ देर बाद ही कुछ अज्ञात लोगों ने कुछ फाइलों से फोटो कॉपी की।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटने वाले अध्यादेश के बाद सोमवार को राजशेखर को बहाल कर दिया गया। बुधवार को राजशेखर ने दिल्ली सचिवालय के अपने दफ्तर में काम किया और विजिलेंस अधिकारियों से मुलाकात की। उन्होंने रिकॉर्ड्स की इनवेंट्री बनाने को कहा ताकि पता लगाया जा सके कि क्या उनकी गैरमौजूदगी में छेड़छाड़ हुई है।
पूरे मामले से अवगत एक अधिकारी ने कहा कि अध्यादेश ने 11 मई के सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पूर्व की स्थिति बहाल कर दी है। नाम सार्वजनिक नहीं करने की अपील करते हुए उन्होंने कहा, ‘अध्यादेश के बाद दिल्ली में अफसरों पर नियंत्रण एलजी के पास है।’ एक अन्य नौकरशाह ने कहा कि अभी इस बात की पूरी तरह स्पष्टता नहीं है कि अधिकारियों पर सरकार का नियंत्रण है या एलजी का।
उन्होंने कहा, ‘अध्यादेश ने ट्रांसफर पोस्टिंग का अधिकार एलजी को दे दिया है, जो नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी के जरिए होगा। मेरा मानना है कि अध्यादेश काम के आवंटन पर चुप है, इसलिए निर्वाचित सरकार के पास अफसरों के कामकाज के बंटवारे का अधिकार है।’
राजशेखर दिल्ली सरकार और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कई जांच कर रहे हैं। इनमें 2020-21 की आबकारी नीति, सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस की अवहेलना करते हुए विज्ञापन खर्च, जाजूसी और मुख्यमंत्री के बंगले पर 45 करोड़ रुपए खर्च जैसे आरोप शामिल हैं।