• माहवारी स्वच्छता प्रबंधन में जनपद का ग्राफ बढ़ा
कानपुर। माहवारी (Menstruation) के समय किशोरियों के साथ-साथ महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना काफी आवश्यक है। पिछले वर्षों में जनपद में इस विषय पर सर्वाधिक चर्चा का नतीजा है की किशोरियों और महिलाओं में माहवारी के दौरान सुरक्षित और स्वच्छ साधन इस्तेमाल करने का ग्राफ बढ़ा है। जहां एक ओर नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 4 (2015-2016) की रिपोर्ट की मानें तो 73.1 प्रतिशत महिलाएं ही सेनेटरी नैपकिन (पैड) का उपयोग करती थी पर नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 (2019-2021) की रिपोर्ट में यह आँकड़ा बढ़कर 87.6 प्रतिशत हो गया है। वहीँ नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 के अनुसार प्रदेश में ग्रामीण इलाकों में 68.4 प्रतिशत महिलाएं सेनेटरी नैपकिन (पैड) का उपयोग करती हैं, जबकि शहरी क्षेत्रों में 86.7 प्रतिशत महिलाएं इसका इस्तेमाल करती हैं।
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मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ आलोक रंजन ने बताया की माहवारी के दौरान बरती जाने वाली स्वच्छता के बारे में जागरुक करना होगा। पुरानी परपंरागत सोच को बदलना होगा। हालांकि अब माहवारी को लेकर सोच में बदलाव आ रहा है। स्वच्छता बरत रहे है। उन्होंने कहा की शारीरिक व मानसिक बदलावों के बारे में युवाओं को स्वीकार्य तरीकों के माध्यम से जानकारी दिए जाने की ज़रूरत है जिससे उनके अभिभावक, स्कूल और समुदाय स्वीकार कर सकें। इस तरह दी गयी जानकारी और ज्ञान के शुरू होने से ही महिलाओं और समाज की स्थिति में सुधार की कल्पना की जा सकती है और उनके आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होगी।
जिला महिला चिकित्सालय की मुख्य चिकित्सक अधीक्षिका डॉ सीमा श्रीवास्तव बताती हैं की माहवारी के समय स्वच्छता रखना बेहद अहम है, ज़रूरी है कि इस समय सेनेटरी पैड इस्तेमाल किये जाए अगर पैड नहीं है तो साफ़ धुला और धूप में सूखा हुआ कॉटन कपडा भी इस्तेमाल किया जा सकता है।सफाई के साथ ही 2-3 घंटे के अन्तराल पर कपड़ा या पैड बदलना बहुत ही ज़रूरी है। लम्बे समय तक एक ही पैड को लगाने से पसीना और रक्तस्त्राव कि वजह से बदबू के साथ ही यौन संचारी और प्रजनन मार्ग संक्रमण (आरटीआई/एसटीआई) फैलने कि संभावना रहती है। साथ ही उचित साफ सफाई नहीं रखने पर सर्वाइकल कैंसर होने की भी संभवाना होती है।
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जिला महिला चिकित्सालय में कार्यरत काउंसलर कंचन पांडेय ने बताया कि अनियमित माहवारी एवं अधिक रक्त स्राव के 40 के आसपास केस हर माह काउंसलिंग के लिए आते हैं, ऐसी किशोरी एवं महिलाओ को काउंसलिंग की जाती है, साथ ही उचित सावधानियों और उपचार के बारें में बताया जाता है। यदि किसी किशोरी या महिला में मासिक धर्म सम्बंधित कोई समस्या है तो वह जिला अस्पताल के कमरा न. 6 में संचालित सुरक्षा क्लिनिक में दिखा सकती है।
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यह भी जानें- हर वर्ष 28 मई को विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस महिलाओं व किशोरीयों को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम है ‘मेकिंग मेंस्ट्रुअल ए नार्मल फैक्ट ऑफ लाइफ बाई 2030’ यानि ‘वर्ष 2030 तक मासिक धर्म को जीवन का एक सामान्य फैक्ट बनाना’ है। इसका लक्ष्य है पीरियड्स के कारण किसी को पीछे नहीं रहना पड़े।