केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद लखनऊ और अयोध्या की यात्रा पर आए थे. यहां वह सनातन चिंतन से सम्बन्धित कार्यक्रमों में सहभागी हुए. सनातन ग्रंथों के सम्बन्ध में उनका ज्ञान विलक्षण है. श्लोकों का धाराप्रवाह उल्लेख करते हैं. उनकी व्याख्या करते है. वर्तमान समय में उनकी प्रासंगिकता प्रमाणित करते है. उनका स्पष्ट मानना है कि सनातन चिंतन पर अमल से भारत एक बार फिर विश्वगुरु बन सकता है. इसके आधार पर सामाजिक समरसता और सौहार्द की स्थापना हो सकती है. इतना ही नहीं विश्व की समस्याओं का समाधान भी सनातन चिंतन से हो सकता हैं. क्योंकि इसमें मानव कल्याण की कामना है. आरिफ मोहम्मद ने अयोध्या में उत्सव कार्यक्रम को संबोधित किया. यहां ज़न मानस में श्री राम कथा पर चर्चा की।
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लखनऊ में उन्होंने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित की पुस्तक का विमोचन किया. यह पुस्तक गीता पर आधारित है. यहां गीता पर आरिफ मोहम्मद का ज्ञान परिलक्षित हुआ. अगला कार्यक्रम महामना मदन मोहन मालवीय की जन्म जयन्ती का था. यहां आरिफ ने महामना के व्यक्तित्व कृतित्व को सनातन विचार से जोड़ते हुए रेखांकित किया. लखनऊ में महामना मालवीय मिशन द्वारा मालवीय जयन्ती का आयोजन किया गया था. इस अवसर पर मुख्य अतिथि केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान थे।
महामना मालवीयमिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रभु नारायण श्रीवास्तव ने आरिफ मोहम्मद का स्वागत किया. उन्होंने अपना संस्मरण सुनाया.एक बार वह आरिफ मोहम्मद के आवास पर गए थी. उनकी लाइब्रेरी देख कर अचंभित रह गए. उसमें वेद पुराण उपनिषद सहित संस्कृत के सभी प्रमुख ग्रंथ थे. इसके साथ ही अरबी इंग्लिश का भी वांग्मय था।
आरिफ मोहम्मद बोलने खड़े हुए तो प्रभु नारायण श्रीवास्तव का कथन सत्या प्रमाणित होने लगा. आरिफ मोहम्मद ने वेद पुराण उपनिषदों का उद्धरण देते हुए भारतीय संस्कृति की महत्ता का प्रतिपादन किया. कहा कि यह भारत है जिसने ज्ञान और उसके प्रसार का मानवीय चिंतन दुनिया को दिया. सूर्य सिद्धांत यूरोपीय पुनर्जागरण का आधार है. नौवीं शताब्दी में भारतीय सूर्य सिद्धांत ग्रंथ को लेकर भारतीय मनीषी अरब गए थे. बगदाद के सुल्तान ने उसका अनुवाद कराया. इसके बाद य़ह ग्रंथ स्पेन के राजा ने मँगवाया. उसका अनुवाद वहां हुआ. युरोपीय पुनर्जागरण इसी भारतीय सिद्धांत पर आधारित है.उपनिषद कहते हैं ज्ञान प्राप्त करो फिर उसको साझा करो
कपिल मुनि ने ज्ञान प्राप्त किया.फिर उसे अपनी माँ को सुनाया. यह प्रसार की ही ललक थी. भारतीय चिंतन में
सेवा सहायता पूजा की भांति है. इसमें भेदभाव नहीं है. इस भारतीय विरासत पर अमल तय हो जाए तो सभी कार्य अपने आप होते चलेंगे।
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भारतीय ज्ञान का सारांश गीता में हैं. भारत मे ज्ञान की पूजा हुई. इस मार्ग से भटके तभी भारत परतंत्र हुआ. ज्ञान का प्रसार बंद कर दिया. इसलिए गुलाम हुए. जो ज्ञान को साझा नहीं करता वह सरस्वती का उपासक नहीं खलनायक होता है. महामना मालवीय ने इसी चेतना का जागरण किया. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय इसका एक निमित्त या पड़ाव मात्र है. नरेंद्र मोदी भी भारतीय संस्कृति का जागरण कर रहे हैं. ज्ञान की तरह पवित्र करने वाला कुछ नहीं है. ब्रह्मचारी वह है जो विद्यार्थि है. जिसमें जिज्ञासा है. विज्ञान का महत्व है. विज्ञान प्रकृति पर नियन्त्रण का प्रयास करता है. ज्ञान ब्रह्म की ओर ले जाता है.भारत आगे बढ़ रहा है. लेकिन कोई यह नहीं कहता कि भारत खतरा है. क्योंकि भारत की यह संस्कृति नहीं है. एकता का आधार आत्मा है.मनुष्य ही नहीं जीव जन्तु सभी में आत्मा है. इसलिए भेदभाव नहीं होना चहिये।
आरिफ मोहम्मद खान ने हृदय नारायण दीक्षित की पुस्तक गीता अंतर संगीत का विमोचन किया. उन्होंने कहा कि कर्मयोग का संदेश देने वाली गीता भारतीय संस्कृति के सभी ग्रंथों का सार है। आरिफ मोहम्मद खान ने अपने उद्बोधन में गीता के विभिन्न श्लोकों का उद्धरण देते हुए कर्मयोग की विस्तृत व्याख्या की। उन्होंने कहा कि फल की इच्छा न रखते हुए पूरे मनोयोग से अपने कार्य में पूर्णता लाने का संदेश केवल गीता में ही दिया गया है।
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हृदय नारायण दीक्षित ने गीता में कर्म की उपयोगिता और जीवन चक्र तथा गीता में संस्कृति की निरंतरता और उसकी प्रासंगिकता का प्रतिपादन किया. आरिफ मोहम्मद ने अयोध्या उत्सव में कहा कि राम हर क्षेत्र में हैं। देश की हर भाषा और बोली में समाहित हैं। यहां के लोगों ने राम को अपने-अपने तरह से और अन्य परिप्रेक्ष्य में देखने का प्रयास किया है। सबसे पहले आदि कवि वाल्मीकि ने उन्हें देखा अथवा महसूस किया। उनकी रामायण पूरे देश में विभिन्न रूपों में मौजूद है। हमने अपने बच्चों को राम के आदर्श से व्यक्तित्व निर्माण समझाया। मानवता के विकास का प्रयास किया। यही सनातन संदेश है।
रिपोर्ट-डॉ दिलीप अग्निहोत्री