नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को राहत देते हुए उनके खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी। दरअसल याचिका में गुरमीत राम रहीम को कई बार अस्थायी तौर पर रिहाई देने को चुनौती दी गई थी। याचिका में गुरमीत राम रहीम को साल 2022 से लेकर 2024 के बीच कई बार पैरोल या फरलो देने पर सवाल उठाए गए। अब इस याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया कि राम रहीम को साल 2023 में फरलो दी गई थी तो फिर उसके खिलाफ अब 2025 में याचिका दायर क्यों की गई है? साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका पर ही सवाल उठाए और कहा कि यह मामला व्यक्ति विशेष से जुड़ा है और इसमें कोई जनहित का मुद्दा नहीं है।
एसजीपीसी ने दायर की याचिका
एसजीपीसी ने यह याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि हरियाणा सरकार द्वारा डेरा प्रमुख को दी जा रही पैरोल और फरलो नियमों के ही अनुसार है। इससे पहले पंजाब और हरियाणा सरकार ने भी एसजीपीसी की याचिका को खारिज कर दिया था। दरअसल हरियाणा सरकार ने डेरा प्रमुख हार्ड कोर क्रिमिनल की श्रेणी में नहीं रखा था और उनका कहना है कि डेरा प्रमुख हत्याओं की साजिश रचने के दोषी हैं न कि हत्या करने के।
एसजीपीसी ने अपनी याचिका में कहा कि हरियाणा सरकार लगातार राम रहीम को पैरोल और फरलो देकर जेल से बाहर रहने का मौका दे रही है। एसजीपीसी ने इसे कानून का उल्लंघन बताया। राम रहीम की और से पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि राजनीतिक प्रतिद्वंदिता के कारण यह याचिका दायर की गई है। जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि हाईकोर्ट ने पहले ही साफ कर दिया है कि नियमों के अनुसार, सरकार पैरोल और फरलो देने पर विचार कर सकती है।