लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा सरकार ने अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए सरकारी और निजी शिक्षण संस्थानों में निःशुल्क प्रवेश की व्यवस्था समाप्त कर उन्हें उच्च शिक्षा तथा रोटी-रोजगार से वंचित करने की साजिश की है। इस दमनकारी फैसले को वापस कराने के लिए समाजवादी पार्टी संविधान दिवस के दिन (26 नवम्बर 2019) बड़ा आंदोलन करेगी।
अनुसूचित जाति-जनजाति के अधिकांश छात्रों की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। यही कारण है कि इस वर्ग के छात्र प्राइवेट संस्थानों के प्रोफेशनल कोर्सेज में प्रवेश नहीं ले पाते थे। ऐसे में इस वर्ग के छात्रों का ध्यान रखते हुए पूर्व की सरकारों ने जीरो फीस की व्यवस्था की थी। जिसके अंतर्गत इन वर्ग के गरीब छात्रों की फीस का निर्वहन सरकार करती थी।
वर्तमान भाजपा सरकार ने जीरो फीस की इस महत्वपूर्ण सुविधा को खत्म कर दिया है। इतना ही नहीं अब सरकारी संस्थानों में भी सिर्फ 60 फीसदी से ज्यादा अंक पाने वाले छात्रों को ही छात्रवृत्ति दिए जाने का प्रावधान कर दिया गया है। यह गरीब छात्रों के लिए बड़ा आघात है। शिक्षा के साथ ही साथ सरकारी नौकरी, प्राइवेट नौकरी और रोजगार के अवसरों को भी सीमित कर दिया गया है। इसका नकारात्मक असर वंचित समाज के सभी वर्गों पर पड़ रहा है। सरकार द्वारा ऐसा करने के पीछे का मकसद साफ है। वह अनुसूचित जाति/जनजाति के छात्रों को मुख्यधारा से वंचित कर रही हैं जिससे कि समाज में समानता-असमानता जैसी कुरीति विद्यमान रहे।
शिक्षा से वंचित कर सरकार अनुसूचित जाति,जनजाति के छात्रों को अपराधी बनाना चाहती है। उदाहरण के तौर पर जिन राज्यों में रोजगार की कमी है वहां पर अपराध का ग्राफ काफी अधिक होता है। वर्तमान समय में सरकार की इस गलत नीति से एक पीढ़ी ही नहीं बल्कि आने वाली कई पीढ़ियों के जीवन को बर्बाद करने का निर्णय लिया जा चुका है। मौजूदा सरकार के इस दमनकारी फैसले को वापस करवाने की पक्षधर समाजवादी पार्टी है।