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तमाम उतार-चढ़ाव के बीच साल 2022 ने छोड़े 2023 के लिए अपार सम्भावनाएं

आज 31 दिसम्बर, साल 2022 का आखरी दिन है। इस साल देश में कई बड़े राजनीतिक उतार चढ़ाव देखने को मिले। कई राज्यों में चुनाव हुए और सत्ता परिवर्तन हुआ। कई राज्यों में बिना चुनाव के तख्तापलट हुआ। कई राज्यों में जनता ने समान सरकार को समर्थन दिया और कई ऐसी राजनीतिक पार्टियां रहीं जिनका रुतबा इस साल बढ़ा या कम हुआ। आइए एक नज़र उन सभी बड़ी राजनीतिक घटनाओं पर डालते हैं, जिन घटनाओं ने इस साल बदल दिया सारा राजनीतिक समीकरण।

भाजपा का राजनैतिक प्रदर्शन

साल 2022 में भाजपा ने चुनाव में काफी अच्छा प्रदर्शन दिखाया। जहां उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में तो बीजेपी की वापसी हुई ही साथ ही गोवा और मणिपुर में भी सत्ता जमाई। हालांकि हिमाचल प्रदेश में भाजपा को सत्ता से हाथ धोना पड़ा। भाजपा ने उत्तराखंड में पांच साल में बदलने वाली सत्ता के रिवाज को बदल कर पुनर्वापसी की है, लेकिन हिमाचल प्रदेश में वह ऐसा करने में नाकामयाब साबित हुई।

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आप”आम आदमी पार्टी की सियासी बुलंदी

साल 2022 में सर्वाधिक चर्चा में आम आदमी पार्टी रही। आज से दस साल पहले ‘आप’ देश की केवल क्षेत्रीय पार्टी के रूप में सामने आई थी लेकिन इस साल उसने दो राज्यों (दिल्ली और पंजाब) में प्रचंड बहुमत से सरकार बनाई है। इतना ही नहीं गुजरात में भले ही आम आदमी पार्टी हार गई हो लेकिन इस साल उसे मिले 13 प्रतिशत मत को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। इस साल पार्टी को अनौपचारिक रूप से राष्ट्रिय राजनीतिक दल का दर्ज़ा भी प्राप्त हो गया।

महाराष्ट्र में उद्धव सरकार का पतन

महाराष्ट्र की सत्ता का इस साल बहुत बोलबाला रहा। साल 2022 में उद्धव सरकार का सत्ता से बेदखल होना इतिहास में हुई दिलचस्प राजनीतिक घटनाओं में गिना जाएगा। शिंदे गुट ने बगावत कर महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सरकार गिरा दी और महाविकास अघाड़ी सरकार को सत्ता से बेदखल होना पड़ा। इस बीच मुख्यमंत्री की कुर्सी एकनाथ शिंदे को मिली और भाजपा के चेहरे देवेंद्र फडणवीस को इस साल उप मुख्यमंत्री का पद मिला।

नये साल का रोचक इतिहास

बिहार में सियासी तलाक और नया गठबंधन

इस साल बिहार की राजनीति में भी गज़ब मोड़ देखने को मिला। जहां भाई-भाई का नारा लगाने वाली पार्टियां जेडीयू और भाजपा का गठबंधन टूट गया। नीतीश कुमार एक बार फिर पुराने दोस्त लालू प्रसाद यादव के साथ जुड़ गए और राज्य में आरजेडी और जेडीयू की सरकार कायम हुई। यह दोस्ती की गांठ अब साल 2024 के लोकसभा चुनावों में पीएम मोदी को भी चुनौती देने के लिए तैयार दिख रही है। दूसरी ओर सियासी तलाक के बाद भाजपा भी लगातार नीतीश कुमार को घेरने में लगी हुई है।

उपचुनाव में कुछ खोया कुछ पाया

इस साल कई राज्यों में कई सीटों पर उपचुनाव भी हुए। जहाँ सपा संथापक और उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम मुलायाम सिंह यादव के जाने पर खाली हुई मैनपुरी की लोकसभा सीट सबसे ज़्यादा रोचक रही। यहाँ मुलायम सिंह यादव की पुत्रवधू और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव खानदानी सीट को बरकरार रखने में कामयाब रहीं। बावजूद इसके आज़म खान के गढ़ रामपुर में सपा का किला दरकता हुआ देखने को मिला। इस साल आजमगढ़ लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भोजपुरी स्टार और भाजपा नेता निरहुआ की ऐतिहासिक जीत को भुलाया नहीं जा सकता है।

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समाप्त हुआ मुलायम सिंह यादव का सियासी युग

इस साल दिग्गज नेता मुलायम सिंह यादव के 10 अक्टूबर 2022 को निधन से एक सियासी युग समाप्त हो गया। तीन बार उत्तर प्रदेश के सीएम की गद्दी पर काबिज रहने वाले मुलायम सिंह यादव 1996-98 के दौरान देश के रक्षा मंत्री भी रहे।

चाचा-भतीजा का राजनैतिक मिलन

इस साल की बड़ी सियासी घटनाओं में चाचा शिवपाल सिंह यादव और भतीजे अखिलेश का एक होना एक बड़ी बड़ी राजनीतिक घटना मानी जाएगी। कई मतभेदों के बाद आखिरखार नेताजी की विरासत चर्चा भतीजे को साथ ले ही आई। मैनपुरी चुनाव में डिंपल यादव की जीत ने ये साबित भी कर दिया कि समाजवादी पार्टी की असली ताकत एकता में ही थी।

पहली आदिवासी महिला बनीं राष्ट्रपति

साल 2022 में 25 जुलाई को देश को पहली आदिवासी महिला और दूसरी महिला राष्ट्रपति मिली। आदिवासी चेहरे के रूप में 25 जुलाई 2022 को द्रौपदी मुर्मू ने देश की प्रथम नागरिक की गद्दी संभाली। ऐसा माना जा रहा कि केंद्र शासित एनडीए ने बड़े आदिवासी वोट बैंक पर निशाना साधने के लिए द्रौपदी मुर्मू को अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार चुना।

मल्लिकार्जुन खड़गे ने जीता कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव

देश की सबसे पुरानी पार्टियों में से एक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए अध्यक्ष पद के चुनाव में 19 अक्टूबर 2022 को मल्लिकार्जुन खड़गे ने 7,897 वोटों से जीत हासिल की है। इसी के साथ करीब 24 साल बाद पार्टी की कमान किसी गैर गांधी के हाथों में आने जा रही है। कांग्रेस के दिग्गज नेता शशि थरूर को इन चुनावों में करीब 1000 वोट मिलें और 416 वोट खारिज हो गए।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबा का 30 दिसम्बर 2022 को हुआ निधन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबा 30 दिसम्बर सुबह 9:26 बजे पंचतत्व में विलीन हो गईं। नरेंद्र मोदी ने उन्हें मुखाग्नि दी। अंतिम सफर के दौरान वे मां की पार्थिव देह कंधे पर लेकर गांधी नगर स्थित घर से निकले। यात्रा के दौरान वे शव वाहन में ही पार्थिव देह के करीब बैठे रहे। इससे पहले उसी दिन देर शाम प्रधानमंत्री एक बार फिर गांधी नगर स्थित अपने घर गए और परिवार के लोगों के साथ करीब 20 मिनट बिताने के बाद दिल्ली लौट गए। हीराबा मोदी का 30 दिसम्बर को तड़के 3:30 बजे गुजरात के यूएन मेहता अस्पताल में निधन हुआ। वे 100 साल की थीं। उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें कफ की शिकायत भी थी। मां हीराबा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुखाग्नि दी। मोदी ने खुद ही निधन की जानकारी ट्वीट के जरिए दी। इसके बाद सुबह 7:45 बजे अहमदाबाद पहुंचे। यहां से वे सीधे गांधीनगर के रायसण गांव में भाई पंकज मोदी के घर गए। पार्थिव देह यहीं रखी गई थी। मोदी के पहुंचते ही अंतिम यात्रा शुरू हुई। सेक्टर-30 स्थित श्मशान घाट में अंतिम संस्कार किया गया। मोदी ने अपना कोई तय कार्यक्रम रद्द नहीं किया। वे अंतिम संस्कार के बाद सीधे अहमदाबाद स्थित राजभवन गए। वे यहीं से बंगाल में हो रही राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक में वर्चुअली जुड़ें। उन्होंने हावड़ा को न्यू जलपाईगुड़ी से जोड़ने वाली वंदे भारत की शुरुआत भी की।

अब तेजी से आकार ले रहा ‘न्यू इंडिया’

भारत ने ‘1 दिसंबर 2022 से दुनिया के सबसे शक्तिशाली समूह G20 की अध्यक्षता का पदभार संभाल लिया है। यह प्रत्येक भारतवासी के लिए बहुत बड़ा अवसर साबित हुआ है। दरअसल, विशेषज्ञों द्वारा वैश्विक देशों के इस बड़े समूह की अध्यक्षता करने के कई मायने समझे जा रहे हैं। सीधे शब्दों में कहा जाए तो यह वैश्विक मंच भारत के बढ़ते महत्व को दर्शाने की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस बीच ये भी बताना चाहेंगे कि बीते कुछ वर्षों में ही ऐसे कई मौके आए हैं जब भारत की स्थिति वैश्विक मंचों पर लगातार सुधरती दिखाई दी है। यह कहा जा सकता है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के प्रयासों का ही नतीजा है कि ‘न्यू इंडिया’ अब तेजी से आकार ले रहा है।

भारत के लिए क्यों खास है जी20 की अध्यक्षता

बताते चलें कि G20 समूह के भीतर विश्व के वे तमाम विकसित देश शामिल हैं जिनकी वर्ल्ड GDP में करीब 85 प्रतिशत की भागीदारी बताई जाती है। ऐसे में प्रत्येक भारतीय को इस सुनहरे मौके की अहमियत को पहचानते हुए देश के तेजी से बढ़ते कद को लेकर गौरवान्वित महसूस करना चाहिए। भारत के लिए इस पायदान तक पहुंचने का सफर बिलकुल भी आसान नहीं रहा। इसके लिए हमारा देश एक कठोर दौर से गुजरा है, जिसमें कोविड जैसी वैश्विक महामारी भी सामने आई थी। बता दें कि कोविड काल में विश्व का ऐसा कोई देश नहीं था जिसके ऊपर उसका जरा भी असर न हुआ हो। दुनिया के लगभग सभी देश किसी न किसी रूप में कोविड के चलते प्रभावित हुए थे। भारत भी इनमें से एक रहा। इन सब के बावजूद भारत ने जिस तरह से रिकवरी की यह वाकयी काबिल-ए-तारीफ है, …और अब लगातार देश के उन्हीं प्रयासों के परिणाम हम सभी के सामने हैं। यहां यह कहना भी सही होगा कि आज भारत इस मुकाम पर पहुंचा है। लेकिन, इसके पीछे हजारों वर्षों की बहुत बड़ी यात्रा जुड़ी है, अनंत अनुभव जुड़े हैं। हमने हजारों वर्षों का उत्कर्ष और वैभव भी देखा है। हमने विश्व के सबसे अंधकारमय दौर भी देखे हैं। हमने सदियों की गुलामी और अंधकार को जीने के लिए मजबूरी भरे दिन भी देखे हैं। फिर भी भारत अपनी विकास यात्रा में नहीं रुका, निरंतर आगे बढ़ता रहा है।

अब सवाल उठता है कि क्या भारत वैश्विक ताकतों के बीच विश्व नेता बन कर उभरा है?

हाल ही में भारत को G20 की अध्यक्षता मिलना इस बात को दर्शाता है कि भारत वैश्विक ताकतों के बीच विश्व नेता बन कर उभरा है। बता दें हाल ही में इंडोनेशिया के बाली में 17वें जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत को G20 की अध्यक्षता सौंपी गई थी। ऐसे में ये देशवासियों की जिम्मेदारी है कि इन आशाओं-अपेक्षाओं से कहीं ज्यादा बेहतर करके दिखाएं। अब ये हमारी जिम्मेदारी है कि हम भारत की सोच और सामर्थ्य से, भारत की संस्कृति और समाजशक्ति से विश्व को परिचित कराएं। ये हमारा दायित्व है कि हम अपनी हजारों वर्ष पुरानी संस्कृति की बौद्धिकता और उसमें समाहित आधुनिकता से विश्व का ज्ञानवर्धन करें। आइए अब जानते हैं कि G-20 ग्रुप कैसे बना और कौन-कौन से देश इसमें शामिल हैं…।

क्या है G20?

G20 ग्रुप का गठन सन् 1999 के दशक के अंत के वित्तीय संकट की पृष्ठभूमि में किया गया था, जिसने विशेष रूप से पूर्वी एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया को प्रभावित किया था। इसका उद्देश्य मध्यम आय वाले देशों को शामिल कर वैश्विक स्थिरता को सुरक्षित करना है। G20 देशों में दुनिया की 60 प्रतिशत आबादी, वैश्विक GDP का 85 प्रतिशत और वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत शामिल है। G20 ग्रुप में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, यूरोपियन यूनियन, फ्रांस, जर्मनी, *भारत*, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, कोरिया गणराज्य, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं। G20 सम्मेलन में स्पेन को स्थायी अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है।

भारतक की विश्व मंचों पर मौजूदा अहमियत

• भारत ब्रिटेन को पीछे छोड़ पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बना।
• यूएन सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग का रूस और अमेरिका ने किया समर्थन।
• भारत के पास जी-20, एससीओ की अध्यक्षता।
• भारत यूएन सुरक्षा परिषद में बना अस्थायी सदस्य।
• ‘वसुधैव कुटुम्बकम’।

अपने मासिक रेडियो संबोधन में ‘मन की बात’ कार्यक्रम के तहत पीएम मोदी ने देश को इस अवसर का उपयोग करने को कहा है। उन्होंने कहा हमें वैश्विक भलाई पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। जी20 की अध्यक्षता हमारे लिए एक बड़े अवसर के रूप में आई है। हमें इस अवसर का पूरा उपयोग करना चाहिए और वैश्विक भलाई व विश्व कल्याण पर ध्यान देना चाहिए। चाहे शांति हो या एकता, पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता हो या सतत विकास, भारत के पास चुनौतियों से संबंधित समाधान हैं। हमने ‘एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य’ की जो परिकल्पना की है, वह हमारी ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। बीते कुछ साल में इस तरह से भारत लगातार वैश्विक मंचों पर बेहतर करता आ रहा है और 130 करोड़ भारतीयों की शक्ति और सामर्थ्य के साथ निरंतर नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी ने पिछले दिनों मिजोरम की राजधानी आइजोल में ‘अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मार्ट 2022’ के उद्घाटन से पहले पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में जी20 की कुछ बैठकें आयोजित की जाएंगी और इनमें से एक बैठक की मेजबानी मिजोरम की राजधानी आइजोल करेगी।

मंत्रीगणों ने प्रदेशवासियों को नववर्ष 2023 की दी शुभकामनाएं

उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में राजमार्गों के किनारे 100 ‘व्यू प्वाइंट’ बनाए जाएंगे। मिजोरम में नौ ‘व्यू पॉइंट’ बनाने के साथ इसकी शुरुआत होगी। भारत ने एक दिसंबर को एक साल के लिए जी20 की अध्यक्षता के लिए पदभार संभाल लिया है। भारत में 55 स्थानों पर इसकी 200 से अधिक बैठकें आयोजित की जाएंगी। बता दें कि दिसंबर 2022 से 30 नवंबर, 2023 तक देशभर में भारत की अध्यक्षता में G20 की बैठकें होंगी। विदेश मंत्रालय ने भारत की अध्यक्षता में होने वाले G20 सम्मेलन से जुड़ी घोषणाएं की है। मीडिया रिपोर्ट्स में विदेश मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि राष्ट्राध्यक्षों/शासनाध्यक्षों के स्तर पर G20 देशों के नेताओं का शिखर सम्मेलन 9 और 10 सितंबर, 2023 को नई दिल्ली में आयोजित होने वाला है।

यूपी के लिए अपार संभावनाओं से भरा होगा जी-20 शिखर सम्मेलन

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भारत की अध्यक्षता में दिसंबर 2022 से दिसंबर 2023 तक की अवधि में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन को ‘ब्रांड यूपी’ को दुनिया के सामने पेश करने का अवसर करार देते हुए कहा है कि यह सम्‍मेलन राज्‍य के लिए अपार संभावनाओं से परिपूर्ण होगा, एक सरकारी बयान के अनुसार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक उच्चस्तरीय बैठक में राज्य के समग्र विकास के लिए विविध कार्यक्रमों की समीक्षा करते हुए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए और जी-20 सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए उच्चाधिकारियों का मार्गदर्शन भी किया।

योगी ने हिदायत दी है कि हमें इस वैश्विक समारोह का लाभ लेना चाहिए, ‘नए भारत के नए उत्तर प्रदेश’ की क्षमता से पूरी दुनिया परिचित हो, इसके लिए हमें राज्य की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, सामाजिक, आर्थिक और औद्योगिक विशेषताओं को व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत करना होगा और इस संबंध में एक बेहतर कार्य योजना तैयार की जानी चाहिए।

बताते चलें कि भारत की अध्यक्षता वाले *जी-20 के एक वर्ष की अवधि में उत्तर प्रदेश के वाराणसी, लखनऊ, आगरा और ग्रेटर नोएडा में अलग-अलग कार्यक्रम होने प्रस्तावित हैं।* इन जिलों में ‘अतिथि देवो भव’ की भारतीय भावना के अनुरूप आयोजन को भव्य बनाने की तैयारी करने की योजना बनाई जा रही है। योगी का मानना है कि ‘‘प्रधानमंत्री ने भारत को ‘मदर ऑफ डेमोक्रेसी’ की संज्ञा दी है और उत्तर प्रदेश के पास समृद्ध इतिहास की विरासत है। जी-20 के मंच पर राज्य की प्राचीन कला, संस्कृति, इतिहास, पुरातात्विक विशेषताओं का संकलन कर प्रस्तुत किया जाना चाहिए। इस कार्य के लिए आवश्यकतानुसार इतिहासकारों, पुरातत्व विशेषज्ञों, कला-संस्कृति के मर्मज्ञ जनों का समूह बनाकर आवश्यक शोध अध्ययन कराये जाने की जरूरत है।” गौरतलब है कि ‘‘जनवरी 2023 में प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर विभिन्न देशों में प्रवास करने वाले एकजुट होंगे। यूपी सरकार की योजना है कि इस अवसर पर प्रवासी भारतीयों को ‘‘उत्तर प्रदेश मातृभूमि योजना” से जोड़ने के प्रयास करने चाहिए। बहुत से प्रवासी भारतीयों ने इस योजना में रुचि दिखाई है और यह योजना आमजन को विकास कार्यों में प्रत्यक्ष भागीदार बनने का सहज माध्यम है।”

प्रधानमंत्री के दूरदर्शी विचारों से प्रकाशित राष्ट्रीय शिक्षा नीति में ज्ञान के सैद्धांतिक और व्यावहारिक आयामों के बेहतर समावेश की चर्चा करते हुए मुख्‍यमंत्री योगी आदित्य नाथ का मानना है कि यह नवीन नीति समाज को स्वावलंबन और आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने में सहायक सिद्ध होगी। उन्होंने कहा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों के अनुरूप स्कूल और उच्च शिक्षण संस्थानों में यथाशीघ्र पाठ्यक्रम को संशोधित किया जाए और चार वर्षीय स्नातक की व्यवस्था को लागू करने के लिए आवश्यक बदलाव किया जाए।

भारत इस बार बनेगा UNSC का स्थायी सदस्य? तीन देशों ने किया समर्थन

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार को लेकर आयोजित बैठक से भारत के लिए अच्छी खबर आई है. इस बैठक में तीन बड़े देश ब्रिटेन, फ्रांस और संयुक्त अरब अमीरात ने भारत की UNSC (संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद) में सदस्यता का समर्थन किया है। रूस के विदेश मंत्री तो पहले ही भारत के पक्ष में आवाज उठा चुके हैं और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी अपनी स्वीकृति दे रखी है। ऐसे में हर बड़ा देश अब इस मामले में भारत के साथ खड़ा दिख रहा है। लेकिन इस अपार समर्थन के बावजूद भी भारत की राह आसान नहीं बन पाई है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के लिए भारत की दावेदारी कितनी मजबूत?

अभी तक लगातार चीन द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की सदस्यता का विरोध किया जा रहा है। माना जा रहा है कि इस बार भी चीन अपने स्टैंड से पीछे नहीं हटने वाला है। उस स्थिति में भारत को अपार समर्थन मिलने के बावजूद भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के स्थायी सदस्य बनने से वंचित रहना पड़ेगा। अभी के लिए संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन और फ्रांस ने खुलकर भारत का समर्थन कर दिया है। उनके समर्थन से भारत की स्थिति जमीन पर और मजबूत हुई है। फ्रांस ने यहां तक कहा है कि वो भारत के साथ-साथ जर्मनी, जापान और ब्राजील की सदस्यता का भी समर्थन करता है।

आपको जानकारी के लिए बता दें कि भारत UNSC का स्थायी सदस्य लंबे समय से बनना चाहता है। अगर वो स्थायी सदस्य बन जाता है, तो उस स्थिति में उसके पास वीटो पॉवर आ जाएगी। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो पावर सिर्फ पांच स्थायी देशों के पास ही हैं।वीटो पावर स्थायी सदस्यों को सुरक्षा परिषद के किसी भी प्रस्ताव को वीटो (अस्वीकार) करने का अधिकार देता है। वीटो पावर के साथ ये भी प्रावधान है कि पांच में से एक सदस्य देश भी इसका इस्तेमाल करता है, तो वो प्रस्ताव खारिज हो जाता है। यही वजह है कि अब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग उठ रही है। इस समय स्थायी सदस्यों में अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस हैं। अस्थायी सदस्यों में भारत के अलावा अल्बानिया, ब्राजील, गेबन, घाना, आयरलैंड, केन्या, मैक्सिको, नॉर्वे और यूएई हैं। अस्थायी सदस्य दो साल के लिए क्षेत्रीय आधार पर चुने जाते हैं।

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