कर्नाटक विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी अपने चरम पर है। केंद्रीय गृह मंत्री व बीजेपी के सीनियर नेता अमित शाह ने रविवार को राज्य के बीदर इलाके का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने मुस्लिमों के आरक्षण को लेकर बड़ा बयान दिया।
शाह ने कहा कि अल्पसंख्यकों को आरक्षण देना संविधान के अनुसार नहीं था। उन्होंने कहा, ‘कल ही भाजपा सरकार ने आरक्षण में बदलाव करने का फैसला लिया। कांग्रेस पार्टी ने वोट बैंक को खुश करने के लिए 4% अल्पसंख्यकों को आरक्षण दिया था, उसको हटा कर हमने 2% वोगललिग्गा और 2% वीरशैव और लिंगायत को आरक्षण देने का काम किया है। अल्पसंख्यकों को आरक्षण देना संविधान के अनुसार नहीं था, संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण देने का कोई प्रावधान नहीं है।
राज्य सरकार के फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एक मुस्लिम नेता ने आरोप लगाया कि समुदाय के अधिकारों को छीना जा रहा है। वहीं, फैसले के खिलाफ शनिवार को कुछ मुस्लिम नेताओं ने बैठक की। उन्होंने राज्य सरकार के निर्णय को अस्वीकार करते हुए अदालत में चुनौती देने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि भाजपा ने अगला विधानसभा चुनाव जीतने के लिए यह राजनीतिक कदम उठाया है।
उलेमा काउंसिल के सदस्य और जामिया मस्जिद के मौलवी मकसूद इमरान ने कहा, ‘आज मुस्लिमों की शिक्षा में स्थिति अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) से भी नीचे है। आप मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार का अंदाजा लगा सकते हैं।’
दरअसल, कर्नाटक मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को फैसला किया कि मुस्लिम समुदाय को 2बी आरक्षण सूची से हटा दिया जाएगा। इसके बाद नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में दिए गए 4 प्रतिशत आरक्षण को वोक्कालिगा और वीरशैव लिंगायत समुदायों में 2-2 प्रतिशत बांट देंगे। इस साल मई में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले किए गए फैसले का राज्य की राजनीति में प्रभाव रखने वाले दोनों समुदायों ने स्वागत किया है। वहीं, सरकार के इस फैसले के बाद मुस्लिम समुदाय को अब आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) कोटे में प्रतिस्पर्धा करनी पड़ेगी, जो पारिवारिक आय के आधार पर निर्धारित होता है।