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नौसेना की ताकत में बढ़ोतरी, बेड़े में शामिल हुई रडार से बच निकलने की क्षमता वाली पनडुब्बी ‘खंडेरी’

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में आज (शनिवार) पनडुब्बी खंडेरी नौसेना के बेड़े में शामिल हो गई है। पनडुब्बी आईएनएस खंडेरी को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने हरी झंडी दिखाई। पनडुब्बी आईएनएस खंडेरी के बेड़े में शामिल होने से नौसेना को साइलेंट किलर की ताकत मिली है। आईएनएस खंडेरी भारत की दूसरी स्कार्पियन-वर्ग की मारक पनडुब्बी है, जिसे पी-17 शिवालिक वर्ग के युद्धपोत के साथ नौसेना में शामिल किया गया।

आईएनएस खंडेरी में 40 से 45 दिनों त सफर करने की क्षमता है। INS खंडेरी को नौसेना में शामिल करने के बाद राजनाथ सिंह ने कहा कि अब 26/11 जैसी साजिश कामयाब नहीं होगी। बता दें कि इसके निर्माण में पूरे 10 साल का समय लगा। यहां तक पंहुचने के क्रम में ये कई कड़ियों से होकर गुजरा है। जिसमें इंजिनियरों की दिनरात मेहनत और कई फेज की टेस्ट‍िंग शामिल है।

खंडेरी भारतीय समुद्री सीमा की सुरक्षा करने में पूरी तरह से सक्षम है। अत्याधुनिक तकनीक से लैश खंडेरी में टॉरपीडो और ऐंटिशिप मिसाइलें तैनात की जाएंगी। ये पानी से पानी और पानी से किसी भी युद्धपोत को ध्वस्त करने की क्षमता रखती हैं। खंडेरी पानी के भीतर 45 दिनों तक रह सकती है। इसी के साथ देश में निर्मित यह पनडुब्बी एक घंटे में 35 किलोमीटर की दूरी आसानी से तय कर सकती है। 67 मीटर लंबी, 6.2 मीटर चौड़ी और 12.3 मीटर की ऊंचाई वाली पनडुब्बी का कुल वजन 1550 टन है। इसमें 36 से अधिक नौसैनिक रह सकते हैं। दुश्मन सेना के छक्के छुड़ाने की ताकत रखने वाली खंडेरी सागर में 300 मीटर की गहराई तक जा सकती है। कोई भी रेडार इसका पता नहीं लगा सकता है।

एक बार पानी में जाने के बाद खंडेरी 12 हजार किलोमीटर तक का सफर तय कर सकती है। खंडेरी बैटरी पर चलने वाली पनडुब्बी है। लंबे समय तक पानी में रहने के लिए इसमें 750 किलो की 360 बैटरी लगाई गई हैं। बैटरी को चार्ज करने के लिए इसमें 1250 वॉट्स के 2 डीजल जनरेटर लगाए गए हैं।

रेडार, सोनार, इंजन समेत इसमें छोटे बड़े 1000 से अधिक उपकरण लगे हुए हैं। इसके बावजूद बगैर आवाज किए यह पानी में चलने वाली विश्व की सबसे शांत पनडुब्बियों में से एक है। इस वजह से रेडार आसानी से इसका पता नहीं लगा सकते हैं। इसीलिए इसे ‘साइलंट किलर’ भी कहते हैं।

खंडेरी का नाम महान मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज के खंडेरी दुर्ग के नाम पर रखा गया है। इस दुर्ग या किले की खासियत यह थी कि यह एक जल दुर्ग था मतलब चारों और पानी से घिरा हुआ इसलिए दुश्‍मन के लिए अभेद्य था।

खासियत-
लंबाई: 67 मीटर
चौड़ी: 6.2 मीटर
ऊंचाई: 12.3 मीटर
कुल वजन: 1550 टन
रफ्तार: 35 किमी प्रति घंटा
बैटरी: 360
केबल: 60 किमी
एक बार में 12 हजार किमी का सफर

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