• पसमांदा मुस्लिम समाज ने टीले वाली मस्जिद के गेट पर ताला लगाये जाने को अलोकतांत्रिक बताया
लखनऊ। पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने कहा है कि टीले वाली मस्जिद के गेट पर यहां के मुतवल्ली के भाई ने 15 सितम्बर से ताला डाल रखा है। अगर ये काम किसी ग़ैर मुस्लिम ने किया होता तो ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड से लेकर तमाम तंजीमें और मुसलमान ताला खुलवाने के लिए सड़कों पर होते, लेकिन सभी चुप्पी साधे बैठे हैं।
दो भाइयों के निजी झगडे़ की वजह से न सिर्फ इस मस्जिद की बेहुरमती हो रही है, बल्कि मुसलमानों की भी पूरे मुल्क में बदनामी हो रही है। इसका सिर्फ एक ही इलाज है कि सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड टीले वाली मस्जिद की मौजूदा कमेटी को खत्म करे और साफ-सुथरी और ईमानदार छवि वाले लोगों की नई कमेटी बनाए।
अनीस मंसूरी ने कहा कि वक़्फ़ सम्पतियों को मुतवल्लियों ने अपनी निजी सम्पति समझ कर व्यावसायिक रूप से प्रयोग करना शुरू कर दिया है जिसका नतीजा यह है मुतवल्ली व उनके परिवार के लोग आमदनी को लेकर आपस में लड़ना झगड़ना शुरू कर दिया है।
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अनीस मंसूरी ने कहा कि वक़्फ़ बोर्ड को चाहिए कि वक़्फ़ सम्पतियों के परम्परागत वक़्फ़ सम्पतियों पर क़ाबिज़ मुतवल्लियों की कमेटीयों को भंग करे और उनकी जांच कराये,एक तय सीमा तक ही मुतवल्ली रखा जाये ताकि लोकतंत्र बहाल हो और पीढ़ी दर पीढ़ी मुतवल्ली बने रहने वालों के भ्रष्टाचार सामने आ सके।
अनीस मंसूरी ने केंद्र सरकार से मांग करते हुए कहा कि केंद्र सरकार वक़्फ़ अलल अवलाद की नियमावली में संशोधन करे ताकि वक़्फ सम्पतियों, खानिकाहों, मस्जिदों, मदारिस और दीगर सम्पतियों में लोकतान्त्रिक व्यवस्था से कमेटीयों का गठन हो।
रिपोर्ट-दया शंकर चौधरी