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औरैया: 12 अगस्त 1942 को शहीद हुए थे 6 क्रांतिकारी

महात्मा गांधी द्वारा 6 अगस्त 1942 को कांग्रेस के मुंबई अधिवेशन में अंग्रेजों भारत छोड़ो का आवाहन कर देशवासियों से ब्रिटिश हुकूमत के साथ पूर्ण असहयोग की अपील की गयी। 9 अगस्त को देश की चोटी के नेताओं की गिरफ्तारी हो जाने के बाद आंदोलन नेतृत्व विहीन तो अवश्य हो गया किन्तु आंदोलन प्रचंड रूप से पूरे देश में फैल गया। इस दौरान पूरे देश में आन्दोलन का नेतृत्व अरूणा आसफ अली ने किया।

भारत प्रेरणा मंच के जिला सचिव एवं कवि अजय अंजाम ने जानकारी देते हुए बताया कि तब भारत छोड़ो आंदोलन की आग औरैया तक भी पहुँच गयी। 12 अगस्त 1942 को विद्यार्थी कांग्रेस की एक बैठक साढ़े सात बजे पड़ाव (पुराना नुमाइश मैदान) पर बुलाई गयी। क्रांतिकारियों ने एक जुलूस निकाल कर तहसील भवन पर यूनियन जैक उतारकर तिरंगा फहरा दिया। जिस पर आक्रोशित फिरंगी पुलिस की गोली से 6 क्रान्तिकारी शहीद हो गये और 8 लोग घायल हो गये। उस दौरान के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विजय शंकर गुप्ता का निधन 2018 में हुआ जिन्होंने इस आंदोलन में बढ़ चढ़‌कर हिस्सा लिया था। जबकि उनके एक साथी छन्नूलाल सक्सेना 2014 को दिवंगत हो चुके हैं।

उन्होंने बताया कि बैठक उस समय के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पंडित छक्की लाल दुबे व बलदेव प्रसाद के संरक्षण में आज के शहीद पार्क में जारी थी, आंदोलन में औरैया की भागीदारी किस प्रकार हो, इस पर विचार विमर्श चल रहा था कि इसी बीच औरैया का थानेदार रामस्वरूप व दीवान खुट्टन बैठक स्थल पर आ पहुंचे व नेताओं को बैठक समाप्त करने की चेतावनी दी, जिस पर छक्की लाल दुबे व रामस्वरूप के बीच वाद-विवाद शुरू हो गया।

थानेदार ने उपस्थित लोगों को गालियां देना शुरू कर दिया, जिसे बैठक में उपस्थित नौजवान बर्दाश्त नहीं कर सके। छक्की लाल दुबे इन युवकों के प्रेरणास्रोेत थे। उन्होंने थानेदार द्वारा उनके साथ अपमानजनक व्यवहार करने पर चले जाने को कहा किन्तु ना मानने पर शिवशंकर, वनस्पति सिंह, मंगली प्रसाद आर्य, कौशल किशोर शुक्ला व तकदीर सिंह ने मिलकर थानेदार की जमकर पिटाई कर दी। खिसियाया थानेदार गालियां देते हुए वहां से चला गया।

इसके बाद 12 अगस्त 1942 को प्रातः 1 बजे पुरानी धर्मशाला से क्रांतिकारियों का जुलूस तहसील भवन की ओर स्वर्णिम इतिहास रचने के लिये रवाना हो गया। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ नारेबाजी करता हुआ जब यह जुलूस तहसील पहुंचा तो उस समय सदर चौराहे तक जुलूस का अंतिम छोर फैला हुआ था। थाना इंचार्ज जगन्नाथ सिंह व सब इंस्पेक्टर रामजी लाल ने छात्रों से शांतिपूर्वक जुलूस वापिस ले जाने को कहा, किन्तु छात्र तहसील भवन से यूनियन जैक उतार कर तिरंगा फहराने पर अड़े रहे। तहसील भवन की छत पर झंडा गाड़ने के लिए ऊपर जाने का जब छात्रों को रास्ता नहीं मिला तो कौशल किशोर शुक्ला, मंगली प्रसाद आर्य व एक अन्य छात्र ने निर्माणाधीन एबी हाई स्कूल (तिलक इंटर कालेज) से बड़ी नसेनी उठा लाये व तहसील भवन की दीवाल पर नसेनी लगा दी। नसेनी पर जैसे ही छात्रों ने चढ़ना शुरू किया, सिपाहियों ने उन पर लाठियां बरसानी शुरू कर दी। लाठी चार्ज प्रारंभ होते ही सभी अधिकारी तहसील भवन के अंदर चले गये व फाटक बंद कर लिया। पुलिस ने खिड़कियों से गोलियां चलानी प्रारंभ कर दी। पहले हवाई फायर किया फिर जुलूस पर सीधी गोलियां दागने लगे। जिससे कि दर्शनलाल निवासी पीपरपुर औरैया, भूरे नाई निवासी खिड़की साहबराय, बाबूराम निवासी पढ़ीन दरवाजा, सुल्तान खां निवासी भीखमपुर, कल्यानचन्द्र गुमटी मोहाल, मंगलीप्रसाद और 8 लोग घायल हो गये।

जिला सचिव अंजाम ने बताया कि 12 अगस्त 1942 को अंग्रेज पुलिस की गोली से घायल हुए स्वतंत्रता सेनानी विजय शंकर गुप्ता अपने जीवन काल के अंतिम दिनों में उस घटना को याद करते हुए बताया करते थे कि पुलिस ने उस समय जिस बेहरमी से गोलियां बरसायीं थीं, उससे 6 क्रांतिकारी शहीद हुए थे और आठ लोग घायल हुए थे। जिन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था जिसमें उन्हें भी 6 माह की कैद की सजा सुनाई गयी थी। 85 वर्ष की उम्र पार कर स्वर्ग सिधारे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विजय शंकर गुप्ता 12 अगस्त 1942 में औरैया के एबी हाईस्कूल अब तिलक इंटर कालेज में कक्षा 9 के छात्र थे, उस समय गांधी जी की ‘करो या मरो’ नारे से प्रेरित होकर स्कूली छात्रों ने एक जुलूस निकाला, जो नारेबाजी करता हुआ चौराहे पर पहुंचा।

उन्होंने बताया कि दूसरी ओर से संस्कृत कालेज से छात्रों का जुलूस भी नारेबाजी करता हुआ तहसील चौराहे पर पहुंचा। दो स्कूलों के जुलूस के साथ स्थानीय लोग आ गये और सैकड़ों लोगों की भीड़ ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ नारेबाजी करने लगी। छात्रों ने जब तिरंगा फहराने का प्रयास किया तो पहले पुलिस ने लाठी-चार्ज किया। इस पर छात्रों ने पथराव शुरू कर दिया इसके बाद पुलिस ने तहसील का गेट बंद करके ऊपर वाली मंजिल से दायें-बाये खिड़कियों से गोलियां चलानी शुरू कर दी जिसमें एक गोली उनके बाये पैर में लगी और वह वहीं पर गिर पड़े। उन्हें श्याम बिहारी अस्पताल लाया गया, जहां से पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया, उनके खिलाफ गोलीकांड का मुकदमा इटावा में चला था। जिसमें उन्हें 6 माह की सजा सुनाई गयी लेकिन कम उम्र की वजह से 15 दिन जेल काटने के बाद जुर्माना लगाकर उन्हें रिहा कर दिया गया। सचिव अंजाम ने बताया कि गुप्ता जी बताते थे कि गोलीकांड की घटना के बाद ब्रिटिश सरकार का उच्च अधिकारी सर मोरिस हैलट घटना स्थल पर आया और उसने जांच पड़ताल की थी। उन्होंने वर्तमान राजनैतिक दलों के नेताओं की स्वार्थ परक नीतियों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि अब के नेताओं में पहले के नेताओं की तरह जनकल्याण की भावना नहीं है।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर

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