बिधूना। तहसील क्षेत्र के ग्राम पंचायत कैथावा में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन चल रहा है। कथा के चौथे दिन बुधवार को भागवताचार्य ने भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव की कथा का वर्णन किया गया। जिसमें श्रोता भाव विभोर होकर कथा का आनंद लेते रहे।
श्रीमद् भागवत कथा यज्ञ में कथा व्यास आचार्य अमरदीप अवस्थी महाराज ने बताया कि भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि की आधी रात को मथुरा के कारागार में वासुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। श्रीकृष्ण के जन्म की इसी शुभ घड़ी का उत्सव पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा था।
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द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने बुधवार के दिन रोहिणी नक्षत्र में जन्म लिया था। अष्टमी तिथि को रात्रिकाल अवतार लेने का प्रमुख कारण उनका चंद्रवंशी होना है। श्रीकृष्ण चंद्रवंशी, चंद्रदेव उनके पूर्वज और बुध चंद्रमा के पुत्र हैं। इसी कारण चंद्रवंश में पुत्रवत जन्म लेने के लिए कृष्ण ने बुधवार का दिन चुना है।
कथावाचक ने कहा रोहिणी चंद्रमा की प्रिय पत्नी और नक्षत्र हैं। इसी कारण कृष्ण रोहिणी नक्षत्र में जन्मे। अष्टमी तिथि शक्ति का प्रतीक है, कृष्ण शक्तिसंपन्न, स्वमंभू व परब्रह्म है इसीलिए वो अष्टमी को अवतरित हुए। कृष्ण के रात्रिकाल में जन्म लेने का कारण ये है कि चंद्रमा रात्रि में निकलता है और उन्होंने अपने पूर्वज की उपस्थिति में जन्म लिया। कि श्री हरि विष्णु श्रीकृष्ण ने योजनाबद्ध रूप से पृथ्वी पर मथुरापुरी में अवतार लिया।
कथा के दौरान जैसे भगवान का जन्म हुआ तो पूरा पंडाल नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की के जयकारों से गूंज उठा। इस दौरान लोग झूमने-नाचने लगे। भगवान के जन्म की खुशी पर महिलाओं द्वारा अपने घरों से लाये गए गुड़ के लड्डूओं से भगवान को भोग लगाया गया। कथा के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।
इस मौके पर मोनू सेंगर, विवेक कुमार द्विवेदी, अभय प्रताप सिंह छोटू, सीपू शर्मा, अंकुर दुबे, टीटू शर्मा, गोविंद, नितेंद्र सिंह, रामजी सेंगर सहित अन्य ग्रामवासी मौजूद रहे।
रिपोर्ट-राहुल तिवारी