बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों का एक प्रमुख त्यौहार है। इस साल बुद्ध पूर्णिमा 7 मई को है। वैशाख मास की पूर्णिमा को देशभर में बुद्ध पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन लोग सुबह सुबह उछकर नदियों एवं पवित्र सरोवरों में स्नान के बाद दान-पुण्य करते हैं। लेकिन इस पबार कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण सभी घर में रहकर ही बुद्ध पूर्णिमा का व्रत रखेंगे।
बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए सबसे बड़ा दिन माना जाता है। इस दिन भगवान बुद्ध का भी जन्म हुआ था, यही नहीं बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ, इसी दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और इसी दिन उनका महानिर्वाण भी हुआ। उत्तर भारत में भगवान बुद्ध को भगवान विष्णु का 9वां अवतार मानते हैं, लेकिन दक्षिण भारतीय मत के अनुसार बुद्ध को श्री विष्णु अवतार के रूप में कभी नहीं माना गया है।
माना जाता हैं की भगवान श्री कृष्ण के बचपन के साथी सुदामा जब द्वारिका उनके पास मिलने पहुंचे थे, तो भगवान श्री कृष्ण ने इस पूर्णिमा व्रत का विधान बताया। इसी व्रत के प्रभाव से सुदामा की दरिद्रता दूर हुई। इस दिन सुबह सवेरे उठकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
वैशाख पूर्णिमा के दिन उन्हें बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई, तभी से यह दिन बुद्ध पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है। भगवान बुद्ध के उपदेश आज भी दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। उन्होंने आध्यात्मिकता का महत्व बताते हुए कहा था कि जिस प्रकार मोमबत्ती बिना आग के नहीं जल सकती वैसी ही मनुष्य भी आध्यात्मिक जीवन के बिना नहीं जी सकता।