चारा घोटाला मामले में सजा काट रहे राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो और बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका पर शुक्रवार को झारखंड उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई. इस दौरान अदालत ने लालू प्रसाद को सजा के दौरान दी गई विशेष सुविधा और रियायत के बारे में झारखंड सरकार से जवाब मांगा.
अदालत ने राज्य की हेमंत सोरेन सरकार से पूछा कि राजद सुप्रीमो को रिम्स के पेइंग वार्ड से रिम्स के निदेशक के बंगले में किसके आदेश से शिफ्ट किया गया था और बाद में अब फिर वहां से पेइंग वार्ड में किसके आदेश से लाया गया है? अदालत ने कैदियों से मुलाकात और सुरक्षा के लिए सरकार की स्टैंडर्ड आपरेटिंग प्रोसिड्योर (SOP) का भी विस्तृत ब्यौरा देने के लिए कहा. ऐसे में इस मामले में सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता आशुतोष आनंद ने अदालत के बताया कि कैदियों के मिलने और उनकी सुरक्षा को लेकर एक एसओपी बनाया गया है. यदि लालू प्रसाद से किसी को मिलना है तो उन्हें 15 दिन पहले अर्जी देनी पड़ती है.
दरसअल, बीते दिनों सजायाफ्ता लालू यादव ने रिम्स निदेशक के बंगले से कथित तौर एनडीए विधायक को फ़ोन किया था और सरकार गिराने के लिए उनसे उनका समर्थन मांगा था. इसके बदले में उन्हें मंत्री पद देने का लालच दिया था. इस कथित बातचीत का एक ऑडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसके बाद बवाल मच गया था. सभी लालू पर जेल मैनुअल की धज्जियां उड़ाने का आरोप लगाकर कार्रवाई की मांग कर रहे थे.