योगी आदित्यनाथ सरकार ने शुक्रवार आधी रात तक उत्तर प्रदेश के 21 जिलों में इंटरनेट सेवाओं को फिर से निलंबित कर दिया है. पहले राज्य के नौ जिलों को इंटरनेट बंद करने के लिए चुना गया था, लेकिन गुरुवार की आधी रात के करीब अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने एक आदेश जारी कर शुक्रवार आधी रात तक 21 जिलों में इंटरनेट सेवाएं निलंबित करने को कहा है.
जिन जिलों में इंटरनेट अवरुद्ध किया गया है उनमें लखनऊ, हापुड़, गाजियाबाद, बुलंदशहर, मेरठ, कानपुर, फ़िरोज़ाबाद, बरेली, सहारनपुर, बिजनौर, रामपुर, अमरोहा, बहराइच, मुजफ्फरनगर, संभल, शामली, वाराणसी, आज़मगढ़, मुरादाबाद, आगरा और आगरा, अलीगढ़ शामिल हैं. शुक्रवार के खास दिन और नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ संभावित विरोध को देखते हुए इंटरनेट शटडाउन को उपाय के रूप में देखा गया है.
इंटरनेट ब्लैक आउट का उद्देश्य किसी भी परेशानी की स्थिति में सोशल मीडिया के माध्यम से सूचना के प्रसार को रोकना है. इससे पहले लखनऊ में इंटरनेट सेवा छह दिनों के लिए बंद कर दी गई थी और पिछले सप्ताह एंटी-सीएए विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़कने के बाद बुधवार रात को बहाल किया गया था.
एक रिपोर्ट के अनुसार अतिरिक्त महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) पी.वी. रामसस्त्रि ने कहा “हमने राज्य के विभिन्न जिलों में सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया है और स्थानीय लोगों के साथ बातचीत की है. इंटरनेट सेवाओं को एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया है, और हम सोशल मीडिया पर सामग्री की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं.” इस बीच, लगातार इंटरनेट बंद होने से लोगों में आक्रोश पैदा होने लगा है.
आईएएनएस के अनुसार इंटरनेट बंद होने से उनकी पढ़ाई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. एक छात्र ने कहा “हम पढ़ाई के लिए इंटरनेट पर निर्भर हो गए हैं और इससे मेरी पढ़ाई प्रभावित हो रही है क्योंकि मैं अगले साल सिविल सेवा परीक्षाओं की तैयारी कर रहा हूं.”
लोगों का यह भी कहना है कि लगभग सब कुछ बुकिंग से लेकर ऑर्डर की आपूर्ति इन दिनों ऑनलाइन किया जाता है. हिंसा और बंद को देखते हुए असुरक्षा की भावना के कारण लोगों ने नए साल की पूर्व संध्या पार्टियों के लिए बुकिंग रद्द करना शुरू कर दिया है. इस बीच, पुलिस और अर्ध-सैन्य बल सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील शहरों में फ्लैग मार्च करेंगे और मौलवियों को शुक्रवार की नमाज के बाद शांति सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है.